नमस्कार दोस्तों आज हम आपको पूर्ण तथा अपूर्ण प्रतियोगिता के बारे में कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारे में बतायेंगे:
सबसे पहले पूर्ण प्रतियोगिता के कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में बताते है:
Contents
Show
पूर्ण प्रतियोगिता कि प्रमुख विशेषताएँ:
- इसमें क्रेताओं-विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है
- इसमें एक समान वस्तु का उत्पादन किया जाता है।
- इसमें फर्मों को उद्योग में प्रवेश एवं बहिर्गमन करने की स्वतंत्रता होती है।
- इसमें फर्मे मूल्य निर्धारक न होकर, मूल्य स्वीकार करने वाली होती हैं।
- इसमें एक फर्म की वस्तु की माँग पूर्णतया लोचदार होती है।
- इसमें क्रेताओं एवं विक्रेताओं को बाजार की दशाओं का पूर्ण ज्ञान होता है ।
- इसमें उत्पादन के साधन पूर्ण गतिशील होते हैं ।
- इसमें औसत आय एवं सीमांत आय दोनों एक ही रेखा होती है तथा आधार रेखा के समानांतर होती है ।
यह बाजार की काल्पनिक स्थिति है।
इन्हें भी पढ़े: बाजार के कितने प्रकार होते है, पूरी जानकारी
अपूर्ण प्रतियोगिता में प्रमुख विशेषताएँ:
- इसमें क्रेताओं-विक्रेताओं की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है ।
- इसमें विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है । इसमें फर्मों का प्रवेश एवं बहिर्गमन अपेक्षाकृत कठिन होता है ।
- इसमें फर्में मूल्य को निर्धारित करती हैं।
- इसमें एक व्यक्तिगत फर्म की वस्तु की माँग अत्यधिक लोचदार होती है।
- इसमें क्रेताओं एवं विक्रेताओं को बाजार की दशाओं का कोई ज्ञान नहीं होता है।
- इसमें उत्पत्ति के साधनों की गति- शीलता में अनेक कठिनाइयाँ आती हैं।
- इसमें औसत आय व सीमांत आय में अन्तर होता है दोनों बायें से दायें नीचे की ओर गिरता हुआ वक्र होता है । सीमान्त आय वक्र, औसत आय वक्र से नीचे रहता है ।
- यह बाजार की व्यावहारिक स्थिति है।
इन्हें भी पढ़े: बाजार क्या है, बाजार के बारे में पूरी जानकारी

Hey Guys! This is Aditya Agrawal Who loves to Watch Movies, TV Shows, and TV Series and also likes to give updates related to TV Series. Hope You Will Enjoy it.