Agriculture in Hindi: कृषि क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रभाव

Agriculture in Hindi इस आर्टिकल में हम समझेंगे कि कैसे कृषि क्षेत्र का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है.

Agriculture in Hindi:

औद्योगिक क्रांति के बाद, विकसित देशों में नए विनिर्माण संस्थान बनने लगे। जब से कारखाने बनने लगे तो जो लोग पहले खेतों में काम करते थे, उनमें से अधिकांश लोग अब लोग कारखानों में आकर काम करने लगे। इसलिए, समय से समय पर उत्पादन और रोजगार की दृष्टि से औद्योगिक क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण होने लगा ।

कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्र (Agriculture and Allied sectors):

भारत एक विकासशील देश है जो कि आज भी अधिकांश आबादी के लिए कृषि ही रोजगार है। स्वतंत्रता के समय, हमारे देश में 72% लोग कृषि क्षेत्र से रोजगार पाते थे और इस क्षेत्र कि वजह से हमें सकल घरेलू उत्पाद का 55% योगदान मिलता था।

आज भी, अधिकांश ग्रामीण परिवार में कृषि ही प्रमुख साधन है जिससे 53% लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन यह अब सकल घरेलू उत्पाद का केवल 15% हिस्सा है।

हालांकि भारत में कृषि क्षेत्र का योगदान घरेलू उत्पादों में कम है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लोगों को उद्योग या अन्य क्षेत्रों में रोजगार नहीं मिल पा रहा है। जिसके वजह से रोजगार के लिए आज भी कृषि क्षेत्र पर निर्भरता बनी हुयी है।

यदि ऐसे लोग कृषि से अलग कार्य करते हैं, तो उससे कृषि उत्पादन में कोई परिवर्तन नहीं होगा, यानी कि कृषि उत्पादन क्षेत्र में किसी भी प्रकार कि कोई कमी नही आएगी.

अर्थशास्त्र की भाषा में अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक लोग यदि रोजगार प्राप्त कर रहे हो तो उसे अदृश्य बेरोजगारी या प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised Unemployment) कहा जाता है।

Challenges in Agriculture in India कृषि क्षेत्र की मुख्य चुनौतियाँ:

1. मानसून पर निर्भरता एवं जल संरक्षण:

भारतीय कृषि में अधिकांश भाग मानसून पर निर्भर है। हमेशा वर्षा होना लाभदायक होता है, लेकिन अतिवृष्टि और सूखे के कारण कृषि उत्पादन में मुश्किल हो सकता है। कीटाणु और प्राकृतिक परिवर्तन से कृषक हमेशा अनिश्चितता से जूझते रहते हैं

इन सभी समस्याओं से जूझने के बहुत से तरीके शामिल है, जैसे फसल बीमा, मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर फसल चुनना और अनाजों का संग्रहण। इन सभी तरीकों को अपनाकर समस्याओं से बचा जा सकता है, इसका सही उपयोग हमारे लिए एक चुनौती होता है।

2. भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाए रखना:

भूमि में कई प्रकार के सूक्ष्म जीव मौजूद होते हैं। इन सूक्ष्म जीवों की सड़न (अपघटन) के कारण तरह-तरह के पोषक तत्व भूमि में बनते रहते हैं किन्तु रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों में कई ऐसे रसायन होते हैं जो भूमि में मौजूद सूक्ष्म जीवों को प्रभावित करते हैं।

रसायनों के प्रभाव से सूक्ष्म जीव भी मर जाते हैं। इन सूक्ष्म जीवों के नहीं रहने से कृषि भूमि की ऊर्वरा शक्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है।

हम सभी जानते है कि भूमि में कई प्रकार के सूक्ष्म जीव मौजूद होते है, और इन सूक्ष्म जीवों के अपघटन के पश्चात पोषक तत्व भूमि में चले जाते है, परन्तु जब रासायनिक और कीटनाशकों जैसे रसायनों का छिडकाव किया जाता है, तो यह सूक्ष्म जीवों को प्रभावित करते हैं। जिससे भूमि कि उर्वरा शक्ति नष्ट होती है.

Leave a Comment

error: Content is protected !!