नमस्कार दोस्तों आज हम आपको बाजार मूल्य और सामान्य मूल्य के बारे में संछिप्त में विवरण देंगे जैसे कि:
- बाजार मूल्य एवं सामान्य मूल्य क्या है
- बाजार मूल्य कि विशेषताएं (Bajar Mulya Ki Visheshtaen)
- सामान्य मूल्य कि विशेषताएं (Samanya Mulya Ki Visheshtaen)
- बाजार मूल्य एवं सामान्य मूल्य का अर्थ
- बाजार मूल्य एवं सामान्य मूल्य में अंतर
बाजार मूल्य एवं सामान्य मूल्य क्या है:
सबसे पहले समझते है कि बाजार मूल्य क्या है?
Bajar Mulya Kise Kahate Hain:
अति अल्पकालीन कीमत को बाजार कीमत कहते हैं। अति अल्पकाल में वस्तु की पूर्ति लगभग स्थिर हती है। कीमत पर माँग-पक्ष का प्रभाव अधिक रहता है।
माँग में जिस दिशा में परिवर्तन होते हैं, कीमत में उसी दिशा में परिवर्तन हो जाते हैं। यह कीमत माँग और पूर्ति के अस्थायी साम्य से निर्धारित होती है तथा आणिक होती है। दिन में अनेक बार परिवर्तन हो सकता है।
इस प्रकार किसी समय एवं स्थान विशेष पर बाजार में किसी वस्तु के वास्तविक प्रचलित मूल्य को बाजार मूल्य कहते हैं।
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बाजार मूल्य कि विशेषताएं (Bajar Mulya Ki Visheshtaen Bataiye):
बाजार मूल्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित है (Characterstcis of Market Price in Hindi):
- बाजार मूल्य अल्पकालीन मूल्य होता है। जो नित्य घटता बढ़ता है।
- बाजार मूल्य का निर्धारण वस्तु को माँग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन द्वारा होता है।
- बाजार मूल्य का वस्तु के सीमांत उत्पादन व्यय से कोई विशेष संबंध नहीं होता।
- बाजार मूल्य वस्तु को पूर्ति की अपेक्षा उसको माँग से अधिक प्रभावित होता है।
- बाजार मूल्य अस्थायी कारणों द्वारा प्रभावित होता है।
- बाजार मूल्य की प्रवृत्ति सामान्य मूल्य के चारों ओर घूमते रहने की होती है।
- बाजार मूल्य वस्तु का वास्तविक मूल्य होता है।
- बाजार मूल्य पर क्रेता-विक्रेता दोनों पूर्णतः संतुष्ट होते हैं।
- बाजार मूल्य पुनरूत्पादनीय एवं निरुत्पादनीय दोनों वस्तुओं का होता है।
Samanya Mulya Kya Hai:
सामान्य मूल्य (कीमत) दीर्घकालीन मूल्य होता है, जो माँग और पूर्ति के स्थायी दीर्घकालीन सायद्वारा निर्धारित होता है। दीर्घकाल में उत्पादक के पास वस्तु की मूर्ति में परिवर्तन करने का पर्याप्त समय रहता है।
वह बनाएंट को क्षमता में परिवर्तन कर सकता है, नये प्लाण्ट लगा सकता है, उत्पादन तकनीक में परिवर्तन कर सकता है या कन्येमाल के नये स्रोतों की खोज कर सकता है।
दीर्घकाल में पूर्ति में समायोजन करने हेतु नये उत्पादक भी बाजार में प्रवेश कर सकते हैं या पुराने उत्पादक बाजार से बाहर जा सकते हैं,
अतः सामान्य मूल्य के निर्धारण में वस्तु को पूर्ति या उत्पादन लागत की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
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सामान्य मूल्य की विशेषताएँ (Samanya Mulya Ki Visheshtaen Bataiye):
सामान्य मूल्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित है-
- सामान्य मूल्य दीर्घकालीन मूल्य होता है।
- सामान्य मूल्य माँग और पूर्ति के स्थायी संतुलन से निर्धारित होता है।
- सामान्य मूल्य स्थायी होता है।।
- सामान्य मूल्य को निर्धारित करने में पूर्ति का अधिक महत्व रहता है।
- सामान्य मूल्य अनेक प्रकार का हो सकता है।
- सामान्य मूल्य वह केन्द्र है, जिसके चारों और बाजार मूल्य घूमता रहता है।
- सामान्य मूल्य उत्पादन व्यय के बराबर होता है।
- सामान्य मूल्य दीर्घकाल में ही सम्भव होता है।
- सामान्य मूल्य काल्पनिक होता है।
- पुनरुत्पादनीय वस्तुओं का हो सामान्य मूल्य निर्धारित होता है।
बाजार मूल्य एवं सामान्य मूल्य में अन्तर (Bajar Mulya Aur Samanya Mulya Mein Antar):
बाजार मूल्य और सामान्य मूल्यम में प्रमुख अन्तर निम्नांकित हैं-
बाजार मूल्य में प्रमुख अन्तर:
- बाजार मूल्य अति अल्पकालीन मूल्य होता है ।
- बाजार मूल्य माँग एवं पूर्ति के अस्थायी साम्य द्वारा निर्धारित होता है ।
- बाजार मूल्य परिवर्तनशील होता है अर्थात् दिन में कई बार बदल सकता है ।
- बाजार मूल्य के निर्धारण में माँग का प्रमुख एवं सक्रिय प्रभाव होता है, जबकि पूर्ति निष्क्रिय रहती है ।
- बाजार मूल्य सभी प्रकार की वस्तुओं (चाहे वे पुनरुत्पादनीय वस्तुएँ हों अथवा निरुत्पादनीय) का होता है ।
- बाजार मूल्य वास्तविक मूल्य होता है बाजार मूल्य औसत लागत से कम या अधिक हो सकता है ।
सामान्य मूल्य:
- सामान्य मूल्य दीर्घकालीन मूल्य होता है ।
- सामान्य मूल्य माँग एवं पूर्ति के स्थायी साम्य द्वारा निर्धारित होता है ।
- सामान्य मूल्य स्थिर रहता है अर्थात् बार- बार परिवर्तित नहीं होता ।
- सामान्य मूल्य के निर्धारण में माँग की अपेक्षा पूर्ति का अधिक प्रभाव होता है। अर्थात् पूर्ति अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है ।
- सामान्य मूल्य केवल पुनरुत्पादनीय वस्तुओं का होता है ।
- सामान्य मूल्य काल्पनिक होता है। सामान्य मूल्य औसत लागत के बराबर होता है ।

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