आज हम आपको इस आर्टिकल कि मदद से समझायेंगे कि Bank Kya Hai और इसके साथ ही बैंक से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में भी जानकारी देंगे जैसे कि:
Highlights:
- Bank Kya Hai (बैंक क्या है)
- Bank ka Arth kya hai
- Bank Ki Paribhasha
- Bank ke Prakar kitne hote hain
- Bank ke karya in Hindi
Bank Kya Hai (बैंक क्या है):
वर्तमान समय या आधुनिक युग में “बैंकिंग” के क्षेत्र को आर्थिक विकास कि बुनियाद या आधार स्तम्भ कहाँ जाता है, बैंक शब्द का उपयोग बहुत ही समय से किया जा रहा है, जो कि रहस्य का आधार भी है |
एक पुरानी विचारधारा है कि पुराने समय में इटली में जो व्यापारी रुपये के लेन-देन का कार्य करते थे उनको Banchi या Bancheri कहा जाता था |
क्योंकि वे अपने पास भुगतान प्राप्त करने के लिए एक विशेष प्रकार की मेज रखा करते थे, जिसे वे Banchi कहा करते थे और बैंक शब्द की उत्पत्ति भी Banchi शब्द या ग्रीक भाषा के Banque शब्द से हुई है जहाँ इन दोनों शब्दों का अर्थ बैंक से है।
बैंक का अर्थ क्या है (Meaning of Bank in Hindi):
सामान्य शब्दों में कहाँ जाये तो बैंक शब्द का अर्थ है ऐसी संस्था से जो कि मुद्रा एवं विशेष प्रकार कि साख-पत्रों का लेन-देन करती हों | यह Bank लोगों के रुपये अपने पास जमा करने में स्वीकार करती है और इसके बदले ऋण के रूप में उधार देती है।
इसके साथ ही बैंक के कई अन्य कार्य भी होते है: credit building agency. इसीलिए बैंक को ऐसी संस्था माना गया है कि जो लोगो के द्वारा Deposit को स्वीकार करता है साथ ही उनको उधार देता है इसके साथ ही अन्य एजेंसी के कार्य भी करते है |
Bank कि परिभाषा (Definition of Bank in Hindi):
प्रो. टी. जी. हार्ट के अनुसार, “बैंकर उस व्यक्ति को कहते हैं जो अपने साधारण व्यवसाय के रूप में लोगों का रुपया जमा करता है तथा उस रुपये से उन लोगों के बैंकों का भुगतान चुकाता है जिन्होंने या जिनके खातों में वह रुपया जमा करता है।”
भारतीय बैंकिंग कम्पनी एक्ट 1949 के अनुसार, “बैंकिग कम्पनी से अभिप्राय उधार देने अथवा निवेश के ओष में जमा रूप में जनता से मुद्रा स्वीकार करना और इनका भुगतान माँगने पर चेक, ड्राफ्ट आदेश या अन्य किसी प्रकार में न करना है।”
इन्हें भी पढ़े: Company Kya Hai, अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
Bank Ke Prakar (Types of Bank):
बैंकों को स्वामित्व के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकरण (Classification on the Basis of Ownership) किया जा सकता है:
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks):
सार्वजनिक क्षेत्र बैंक उस bank के प्रकार होते है जिनका मुख्य स्वामित्व सरकार के पास होता है यानी कि सरकार इन्हें कण्ट्रोल करती है भारत में सन् 1969 में 14 तथा सन् 1980 में 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है, मतलब कि ये सब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं।
इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र बैंक का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कल्याण करना होता है, न्यू बैंक ऑफ इण्डिया 1993 में पंजाब नेशनल बैंक के साथ विलय हुआ और फिर भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के साथ सम्मिलित हुआ।
जिसेक बाद अब इसमें 20 बैंक हैं और इसके अतिरिक्त स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया तथा इसके सहायक बैंकों की संख्या 6 है। इसलिए कुल 26 सार्वजनिक बैंक काम कर रहे हैं।
निजी क्षेत्र के बैंक (Private Sector Banks):
निजी क्षेत्र बैंक यानी कि उस बैंक को कहते है, जिन पर पूर्ण रूप से निजी क्षेत्र का व्यक्ति का स्वामित्व होता है या कोई निजी व्यक्ति इसका संचालन करता है |
हमारे देश में ऐसे कई बैंक कार्यरत है जैसे कि जम्मू एण्ड कश्मीर बैंक लि लि. आदि निजी क्षेत्र के बैंक है। इन बैंक पर किसी व्यक्ति का नियन्त्रण होता है और इसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है |
सहकारी बैंक (Cooperative Banks):
इस प्रकार के बैंक का निर्माण कुछ व्यक्ति मिलकर करते है और उनका संचालन करते है इसके साथ ही इस प्रकार के bank का मुख्य उद्देश्य संगठन में जुड़े सदस्यों को सहायता प्रदान करना है इनमें मुख्य रूप से राज्य सहकारी केन्द्रीय जिला सहकारी बैंक तथा प्राथमिक समितियाँ शामिल है।
कार्यों के आधार पर वर्गीकरण (Classification on the Basis of Functions):
वाणिज्यिक अथवा व्यापारिक बैंक (Commercial Banks):
Commercial Banks में जनता के धन को जमा के रूप में स्वीकार करके निर्माताओं और व्यापारियों को मध्यकालीन समय के लिए ऋण प्रदान किया जाता जाता है |
इसके अलावा Commercial Banks में अपने ग्राहकों के हितों के लिए कई प्रकार कि एजेंसी भी कार्यरत होती है, इन bank का मुख्य आय स्रोत ब्याज दर में अंतर होता है यानी कि ये bank जमा कि हुयी राशि पर कम ब्याज देती है और ऋण में दी हुयी राशि पर अधिक ब्याज प्राप्त करती है |
वाणिज्यिक बैंक के 2 के प्रकार है:
- विदेशी वाणिज्यिक बैंक (Foreign Commercial Banks)
- भारतीय वाणिज्यिक बैंक (Indian Commercial Banks)
1. विदेशी वाणिज्यिक बैंक (Foreign Commercial Banks):
जो bank विदेशों से सम्बन्धित होते है परन्तु उनकी शाखाएँ भारत में स्थित होती है, उन्हें हम विदेशी वाणिज्यिक बैंक के रूप में जानते है जैसे कि:
लॉयडस बैंक (Loyds Banks)
चार्टर्ड बैंक (Chartered Bank)
बैंक ऑफ अमेरिका (Bank of America)
पिण्डलेज बैंक (Gnindlays bank)
सिटी बैंक (City Bank)
2. भारतीय वाणिज्यिक बैंक (Indian Commercial Banks):
इस प्रकार के bank कि स्थापना हमारे देश यानी कि भारत हुयी है जिसे भारतीय वाणिज्यिक बैंक या Indian Commercial Banks कहते है, ये दो प्रकार के होते है:
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks)
- निजी क्षेत्र के बैंक (Private Sector Banks)
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks):
इस प्रकार के bank का पूरा कण्ट्रोल सरकार के हाथों में होता है और इनकी कुल संख्या 26 है नेशनल बैंक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया, इंडियन बैंक, स्टेट बैंक, यूको बैंक आदि क्षेत्र के बैंकों के उदाहरण हैं। साथ ही साथ ये bank विदेशी विनिमय के कार्यों का भी पालन करते है |
निजी क्षेत्र के बैंक (Private Sector Banks)
जैसे कि नाम से पता चल रहा है कि इन Banks का स्वामित्व निजी लोगों के पास होता है। उदाहरण: पंजाब नेशनल बैंक आदि |
इन्हें भी पढ़े: Types of Market in Hindi | बाजार के कितने प्रकार होते है, पूरी जानकारी
औद्योगिक विकास बैंक (Industrial Development Banks):
Industrial Development Banks वे bank होते है जिसमे उद्योगों को मध्यकालीन या एक निश्चित समय के लिए ऋण दिया जाता है | नई-नई औद्योगिक इकाइयों को स्थापित में करने में ये बैंक सहायता प्रदान करते है |
साथ ही साथ ये कम्पनियों के अंश व अणपत्रों को बिकवाने में भी मदद करते हैं, ये प्राय: भूमि, मशीनें आदि खरीदने के लिए ऋण देते हैं। औद्योगिक विकास बैंक कि दो श्रेणियों है-
(1) राष्ट्रीय स्तर पर (National Level)- राष्ट्रीय स्तर पर चार ऐसे बैंक है जी औद्योगिक विकास के लिए प्रदान करते हैं-
- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (The Industrial Development Bank of India IDBI)
- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (The Small Industrial Development Bank of India SIDBI)
- भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (The Indusinal Finance Corporation of India-IFCT)
- भारतीय औद्योगिक साख एवं विनियोग निगम (The Industrial Credit and Investment Corporatio India-ICICI)
(2) राज्य स्तरीय (State Level)-
- राज्य वित्त निगम (State Finance Corporation-SFC) |
- राज्य औद्योगिक विकास निगम (State Industrial Development Corporation-SIDCS) I
कृषि बैंक (Agricultural Banks):
कृषि बैंक वे होते है जो मुख्य रूप से कृषि कार्यों के लिए ऋण प्रदान करने में मदद करते है, इसमें बीज, खाद आदि वस्तुएं खरीदने के लिए अल्पकालीन ऋण तथा भूमि, ट्रैक्टर इन सभी चीजों को खरीदने के लिए दीर्घकालीन ऋण की जरूरत होती है।
इसे भी दो श्रेणियों में बाँटा गया है:
सहकारी बैंक (Co-operative Banks):
यह bank कृषि के लिए अल्पकालीन ऋण देती है और साथ ही इसका कार्य व्यापारिक बैंकों के समान होता है संरचना एवं स्वामित्व व्यापारिक बैंकों से अलग होता है, ये तीन प्रकार के होते है:
- राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक (State Cooperative Bank)
- जिला स्तर पर केन्द्रीय सहकारी बैंक (Central Cooperative Bank)
- गाँव स्तर पर प्राथमिक ऋण समितियाँ (Primary Cooperative Societies)
भूमि विकास बैंक (Land Development Bank):
इस bank का मुख्य कार्य भूमि को बन्धक के रूप में ऋण देना है साथ ही ये bank दीर्घकालीन ऋण देते है इन ऋणों के उद्देश्य ट्रैक्टर क्रय करना, भूमि सुधार करना, पुराने ऋण का भुगतान करना आदि है। ये ऋण दो प्रकार के होते है:
- राज्य भूमि विकास बैंक (State Land Development Bank) |
- प्राथमिक भूमि विकास बैंक (Primary Land Development Bank)।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Banks):
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक कि स्थापना सन्न 1975 में हुयी थी और इस bank का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग कि सुविधाओं को बढ़ाना है, इस प्रकार के bank में आपको सहकारी तथा व्यापारिक बैंक दोनों के गुण देखने को मिलेगा |
ये बैंक किसी विशेष व्यापारिक बैंक द्वारा समर्पित होते हैं। जिसकी पूँजी का 50% केन्द्रीय सरकार, 35% सम्बन्धित व्यापारिक बैंक तथा 15% सम्बन्धित राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है।
इन बैंकों का मुख्य कार्य छोटे व्यापारियों, छोटे कृषकों और कृषि क्रियाओं के विकास के लिए सरल ऋण प्रदान करना है।
इन्हें भी पढ़े: रोजगार (Rojgar Kise Kahate Hai), महत्व और विशेषताएं
बैंक के कार्य (Function of Bank in Hindi):
बैंकों के कार्य को तीन भागों में बाँटा सकता है
- प्राथमिक कार्य (Primary Functions)
- गौण कार्य (Secondary Functions)
- इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग सेवाएँ (Electronic Banking Services)
प्राथमिक कार्य (Primary Functions):
प्राथमिक कार्य में भी बैंकों के दो मुख्य कार्य है:
जमा स्वीकार करना (Acceptung of Deposits):
बैंक सभी जनता के धन को स्वीकार यानी जमा करता है, और सभी लोग आवश्यकता के अनुसार bank में अपने पैसे को जमा कर सकते है, इसे भी निम्नलिखित खातों में जमा कर सकते है:
- निश्चितकालीन जमा खाता (Fixed of Time Deposit Account)
- चालू जमा खाता (Current or Demand Deposit Account)
- बचत जमा खाता (Saving Deposit Account)
निश्चितकालीन जमा खाता (Fixed of Time Deposit Account):
इस प्रकार के खाते में एक निश्चित समय के लिए पैसों को जमा किया जाता है जिसके बाद जमाकर्ता को जमा की गयी पैसे एक रिसीप्ट यानी रसीद देता है इसमें जमाकर्ता का नाम जमा की राशि ब्याज की दर तथा जमा की अवधि लिखी होती है।
यदि जमाकर्ता अवधि पूर्ण होने से पहले अपने पैसों कि जरूरत पडती है तो bank कुछ पैसों कि कटौती कर बाकि पैसों को लौटा सकते है, साथ ही इस bank पर जमा कि गयी राशि पर ब्याज दर भी बहुत अधिक मिलती है
जिसकी अवधि जितनी लम्बी होती है ब्याज की दर भी उतनी ऊँची होती है। इसका कारण यह है कि बैंक इस रकम का लम्बे समय तक प्रयोग कर सकते हैं।
चालू जमा खाता (Current or Demand Deposit Account):
इस प्रकार खाते में जमाकर्ता जितनी बार अपने रूपये को जमा कर भी सकता है जरूरत पड़ने पर उन्हें निकाल भी सकता है, इस प्रकार के खाते का उपयोग सामान्य रूप से व्यापारी वर्ग के लोग करते है और इसके साथ इस प्रकार के bank में ब्याज नहीं मिलता है
इस प्रकार के खाते में जमा कि गयी रकम एक न्यूनतम आवश्यक राशि से कम होती है तो जमाकतों से बैंक कुछ सेवा व्यय (Service Charge) वसूल कर सकता है।
इस खाते से रुपया प्रायः बैंक द्वारा निकलवाया जाता है। इस खाते में जमा राशि को बैंक की माँग देनदारी (Demand Liability) कहा जाता है।
बचत जमा खाता (Saving Deposit Account):
जैसे कि नाम से पता चल रहा है कि इस प्रकार के खाते का उपयोग छोटी-छोटी बचत को प्रोत्साहन देने के लिए किया जाता है , साथ ही साथ इस खाते में bank के द्वारा ब्याज भी दिया जाता है जो कि एक निश्चितकालीन जमा खाते कि तुलना में कम होता है, इसमें जमा राशि को बैंक की माँग देनदारी (Demand Liability) कहते है |
ऋण देना (To give Loan):
ऋण देना भी bank के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है, bank उन लोगो को पैसे उधार देता है, जिसका उपयोग करके वे अपने कार्यों में लगा सकें, बैंक इन धन पर अधिक दर से ब्याज लगाता है।
bank 4 प्रकार से ऋण देता है:
- नकद साख (Cash Credity)
- अधिविकर्ष (Overdraft)
नकद साख (Cash Credity):
इस प्रकार कि प्रणाली का जन्म स्कॉटलैण्ड में हुआ था। Cash Credity के अनुसार बैंक अपने ग्राहकों को बॉण्ड्स या व्यापारिक मल या अन्य स्वीकृत प्रतिभूतियों की जमानत पर देते हैं जब ग्राहक धन लौटा देता है तो बैंक जमानत के रूप में रखी हुई वस्तु को लौटा देता है।
अधिविकर्ष (Overdraft):
जब बैंक अपने ग्राहक उसके चालू खाते से जमा धन में से ज्यादा निकालने कि अनुमति देता है तो इस प्रकार अधिक धन निकालने कि प्रक्रिया को अधिविकर्ष या Overdraft कहते है, इसके साथ ही बैंक इसमें ऊँची ब्याज दर भी देता है |
ऋण तथा अग्रिम (Loan and Advances):
सभी bank एक उचित जमानत पर ऋण देने का कार्य करता है और यह ऋण एक निश्चित अवधि के लिए दिया जाता है, और जब तक पुराना ऋण पूरा चुकाया नहीं जाता है तब तक ग्राहक को नया ऋण नही दिया सकता है |
Loan and Advances भी 2 प्रकार के होते है:
- माँग ऋण
- अवधि ऋण
मांग ऋण:
माँग ऋण में बैंक अपने Customer को सावधि जमा (Fixed Deposit), सरकारी प्रतिभूतियों (Govt securities), जीवन बीमा-पत्र (Life Insurance Policies) आदि की जमानत के रूप में रखकर प्रदान करता है चूँकि bank इन माँग ऋण कभी भी मांग सकता है इसीलिए इन्हें इन ऋणों को माँग ऋण इसलिए कहा जाता है |
अवधि ऋण:
इस प्रकार के loan में customer को एक निश्चित समय के लिए मशीनरी ट्रक स्कूटर, मकान आदि क्रम करने के लिए प्रदान करता है। और इसका भुगतान customer के द्वारा मासिक, त्रैमासिक, छमाही अथवा वार्षिक किस्तों में किया सकता है
गौण कार्य (Secondary Functions):
विभिन्न मदों का एकत्रीकरण और भुगतान (Collection and Payment of Various Itmes):
बैंक का मुख्य कार्य यह भी होता है कि वह अपने customer की ओर से चेक, किराया, ब्याज इत्यादि एकत्रित करना होता है |
प्रतिभूतियों की खरीद तथा बिक्री (Purchase and Sale of Securities):
Bank अपने कस्टमर के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों कि जानकारी प्राप्त करता है और उन्हें खरीदने बेचने तथा उनको सुरक्षित रखने का कार्य भी करता है |
बैंक अपने customer के आदेश पर उनकी सम्पत्ति के प्रबन्धक का कार्य भी करते हैं।
एक स्थान से दुसरे स्थान तक पैसे भेजने जैसे महत्वपूर्ण कार्य bank का ही होता है और यह कार्य बैंक ड्राफ्ट द्वारा किया जाता है।
विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय (Purchase and Sale of Foreign Exchange) करके अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना भी bank का महत्वपूर्ण कार्यों में से एक होता है

Hey Guys! This is Aditya Agrawal Who loves to Watch Movies, TV Shows, and TV Series and also likes to give updates related to TV Series. Hope You Will Enjoy it.
2 thoughts on “Bank Kya Hai, अर्थ, परिभाषा, महत्व और प्रकार”