बेरोजगारी भारत में सबसे बड़ी समस्या (Berojgari Ki Samasya) है, जिसकी बात राजनीतिज्ञों, विद्यार्थियों, आर्थिक और सामाजिक सम्मेलनों, लोकसभा और राज्य की विधानसभा जैसी जगहों पर बहुत बात की जाती है।
Berojgari Ki Samasya:
हमारे देश में रोजगार की समस्या बढ़ती जा रही है। जब युवाओं की ऐसी स्थिति होती है, तो वह देश विकासशील नहीं होता। बेरोजगारी एक बीमारी है जो जितना अधिक इलाज होता है, उतना ही अधिक बढ़ती है।
Highlights:
- बेरोजगारी का अर्थ (Berojgari Ka Arth Kya Hai)
- बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployement)
- भारत में बेरोजगारी की समस्या का स्वरूप
- भारत में बेरोजगारी के कारण (Berojgari Ke Karan Kya Hai)
- बेरोजगारी के प्रभाव
- बेरोजगारी दूर करने के उपाय (Berojgari Dur Karne ke Upaye)
बेरोजगारी का अर्थ (Berojgari Ka Arth Kya Hai):
सामान्यतया, जब एक व्यक्ति को अपने जीवन निर्वाह के लिए कोई काम नहीं मिलता है, तो उस व्यक्ति को बेरोजगार और इस समस्या को बेरोजगारी की समस्या कहते हैं,
अर्थात् जब कोई व्यक्ति कार्य करने का इच्छुक है और वह शारीरिक व मानसिक रूप से कार्य करने में समर्थ भी है, लेकिन उसको कोई कार्य नहीं मिलता, जिससे कि वह जीविका चला सके, तो इस प्रकार की समस्या बेरोजगारी की समस्या (Berojgari Ki Samasya) कहलाती है।
बेरोजगारी के प्रकार (Types of Unemployement in Hindi):
- संरचनात्मक बेरोजगारी,
- अदृश्य बेरोजगारी,
- मौसमी बेरोजगारी,
- अल्प रोजगार,
- खुली बेरोजगारी.

1. संरचनात्मक बेरोजगारी:
जब किसी देश में धन या साधनों की कमी होती है और इसलिए लोग नौकरी नहीं पा पाए, तो उसे संरचनात्मक बेरोजगारी कहा जाता है। यह अधिकतर विकासशील नहीं होने वाले देशों में होता है।
2. अदृश्य बेरोजगारी:
अदृश्य बेरोजगारी वह स्थान है जहां लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिलता है, लेकिन वे कुछ नहीं उत्पादित करते हैं। यह आमतौर पर कृषि से जुड़े क्षेत्रों में होता है।
3. मौसमी बेरोजगारी:
जब श्रमिकों को कृषि क्षेत्रों में साल में पाँच या छः माह कार्य मिलता है, बाकी समय वे बेरोजगार होते हैं, तो इसे मौसमी बेरोजगारी कहते हैं।
4. अल्प रोजगार:
जब किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता और क्षमता से अनुरूप नौकरी नहीं मिलती है, तो उसे अल्प रोजगार कहते हैं।
5. खुली बेरोजगार:
जब कोई व्यक्ति स्वस्थ होने के बावजूद काम नहीं मिलता है, तो उसे खुली बेरोजगार कहते है। भारत में इस तरह के बेरोजगारों की संख्या बहुत अधिक है।
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भारत में बेरोजगारी की समस्या का स्वरूप:
- ग्रामीण बेरोजगारी
(i) अदृश्य बेरोजगारी,
(ii) मौसमी बेरोजगारी,
(iii) आकस्मिक बेरोजगारी ।
- शहरी बेरोजगारी
(i) शिक्षित बेरोजगारी,
(ii) औद्योगिक बेरोजगारी ।
(NATURE OF UNEMPLOYMENT PROBLEM IN INDIA) भारत में बेरोजगारी की समस्या को दो भागों में बाँट सकते हैं:
- ग्रामीण बेरोजगारी
- शहरी बेरोजगारी
ग्रामीण बेरोजगारी:
भारत एक ऐसा देश है जहां अधिकांश लोग कृषि कार्यों में जुड़े हैं। इसके अलावा, अधिकांश लोग लोहार, नाई आदि सेवा क्षेत्रों में भी जुड़े हैं। इसलिए, लगभग 80% जनसंख्या अपने कार्यों में संलग्न है, जबकि बाकी 20% अन्य लोगों के लिए कार्य करती है।
बेरोजगारी की समस्या के सामान्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अल्प रोजगार होती है। लोगों को कुछ समय के लिए काम मिलता है, लेकिन साल के बाकी समय में वे बेरोजगार होते हैं।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में निम्न प्रकार की बेरोजगारी पायी जाती है:
- अदृश्य बेरोजगारी,
- मौसमी बेरोजगारी,
- आकस्मिक बेरोजगारी ।
शहरी बेरोजगारी:
जब किसी शिक्षित व्यक्ति को उसकी पसंद के अनुसार नौकरी नहीं मिलती है, तो वह शिक्षित बेरोजगारी कहा जाता है। भारत के शहरों में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या गंभीर हो रही है।
औद्योगिक बेरोजगारी:
औद्योगिक क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या जनसंख्या के बढ़ते हुए हालात से हुई है। यह उद्योग, खनिज, व्यापार, यातायात, निर्माण आदि में काम करने के इच्छुक बेरोजगारों से होता है। यह कारण है कि शहरों में उद्योगों की वृद्धि से जनसंख्या गाँवों से शहरों में आकर रहने लगी है।
इसलिए औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की मांग बढ़ गई है, लेकिन उद्योग-धन्धे स्थापित नहीं हो पाए हैं, जो समस्त जनसंख्या को रोजगार दे सकें।
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भारत में बेरोजगारी के कारण (Berojgari Ke Karan Kya Hai):
- जनसंख्या में वृद्धि,
- लघु एवं कुटीर उद्योगों में ह्रास,
- श्रम की गतिशीलता का अभाव,
- भारी कर भार,
- उपविभाजन एवं अपखण्डन,
1. जनसंख्या में वृद्धि:
भारत में हर वर्ष जनसंख्या में 2-1 प्रतिशत की वृद्धि होती है, जो बेरोजगारी में सबसे बड़ा कारण है। जनसंख्या की यह तीव्र वृद्धि रोजगार के अवसरों में वृद्धि नहीं होती है, इसलिए बेरोजगारी दिन-प्रतिदिन एक समस्या का रूप ले रही है।
2. लघु एवं कुटीर उद्योगों में ह्रास:
आर्थिक विकास और बड़े उद्योगों में स्वचालित मशीनों का प्रयोग बढ़ाया गया है। इन उद्योगों में तकनीकी श्रम को कम प्रयोग मिलता है और उनमें कम लागत पर अच्छी वस्तुएँ निर्मित होती हैं।
इसलिए, लघु और कुटीर उद्योग धन्धे धीरे-धीरे बंद होने लगते हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। एक ओर से लघु और कुटीर उद्योग बंद होने से और दूसरी ओर स्वचालित मशीनों का प्रयोग से श्रमिकों में बेरोजगारी बढ़ती है।
3. श्रम की गतिशीलता का अभाव:
भारतीय श्रमिकों में गतिशीलता का अभाव रूढ़िवादिता और पारिवारिक मोह से होता है। उन्हें अन्य जगहों पर कार्य करने को इच्छुक नहीं होते हैं क्योंकि वे भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति में भिन्न हैं और घर से दूरी की बाधा होती है। इसलिए, उन्हें पूर्ण रोजगार प्राप्त करने में भी महसूस होती है।
4. भारी कर भार:
सरकार ने धन और आय की असमानता को दूर करने के लिए उद्योगपतियों पर बड़े टैक्स लगाए हैं, जिससे उद्योगों के विस्तार पर रोक लग गई है। इसका परिणाम है बेरोजगारों की संख्या में अधिक वृद्धि।
5. उपविभाजन एवं अपखण्डन:
भूमि का उपविभाजन अर्थात है कि एक कृषक की भूमि कई टुकड़ों में बँटी हुई होती है, जबकि अपखण्डन में उसे कई टुकड़ों में बँट जाता है। इसलिए, भूमि के उपविभाजन और अपखण्डन से कृषि भूमि गैर कृषकों के हाथों में हस्तांतरित होती है, जिससे भूमिहीन कृषकों की संख्या में वृद्धि होती है।
बेरोजगारी के प्रभाव (Effects of Unemployment in India):
- मानवशक्ति का व्यर्थ जाना,
- सामाजिक समस्याओं का जन्म,
- राजनीतिक अस्थिरता,
- आर्थिक सम्पन्नता में कमी,
- अन्य दुष्प्रभाव ।
देश के लिए बेरोजगारी की समस्या एक गंभीर समस्या है। सन् 1956 व 1990 के बीच बेरोजगारों की संख्या दुगुनी हो गई है जिसमें से आधे से अधिक पढ़े-लिखे हैं तथा प्रत्येक पाँच बेरोजगारों में से एक स्त्री है। इस समस्या के कुछ दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-
1. मानवशक्ति का व्यर्थ जाना:
बेरोजगारी होना देश के लिए बहुत ही गंभीर समस्या है, जिसके कारण हमारे व्यक्तियों की शक्तियां उचित रूप से नहीं इस्तेमाल होती हैं और यह शक्ति समाप्त हो जाती है। अगर हम इसको ठीक से इस्तेमाल करते हैं तो यह हमारे देश के लिए सफलता और समृद्धि का साधन बन सकता है।
2. सामाजिक समस्याओं का जन्म:
जहां बेरोजगारी होती है, वहां नई-नई सामाजिक समस्याएँ जैसे चोरी, अनैतिकता, शराबखोरी आदि होती हैं, जो सामाजिक सुरक्षा को खतरनाक बनाती हैं। इससे शांति एवं व्यवस्था में समस्याएं होती हैं, जिसपर सरकार को भारी खर्च करना पड़ता है।
3. राजनीतिक अस्थिरता:
बेरोजगारी की समस्या देश में राजनीतिक अस्थिरता बनाती है, क्योंकि लोग हमेशा राजनीतिक चर्चों में लगे रहते हैं।
4. आर्थिक सम्पन्नता में कमी:
बेरोजगारी से लोगों की आय में गिरावट होती है, जो उनके जीवन स्तर को गिराने के कारण होती है। इससे लोगों में ऋणग्रस्तता और निर्धनता में वृद्धि होती है, जिससे आर्थिक समस्याएं बढ़ती हैं।
5. अन्य दुष्प्रभाव:
बेरोजगारी के अन्य दुष्प्रभाव भी होते हैं, जैसे- औद्योगिक संघर्षों में वृद्धि हो जाती है, मालिकों द्वारा बेरोजगारी का लाभ उठाकर कम मजदूरी दी जाती है, पेट भर भोजन न मिलने से मृत्यु दर बढ़ जाती है आदि।
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बेरोजगारी दूर करने के उपाय (Berojgari Dur Karne ke Upaye)
- विनियोग में वृद्धि,
- नवीन योजनाएँ,
- कर व्यवस्था में सुधार,
- प्रशिक्षण सुविधाएँ,
- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण,

1. विनियोग में वृद्धि:
सरकार निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों को प्रोत्साहित करे। सार्वजनिक क्षेत्रों में ब पैमाने पर पूँजी का विनियोजन करके बेरोजगारी दूर की जा सकती है।
निजी क्षेत्र के उद्योगपतियों की विनियोग योजनाएँ मुख्य रूप से श्रम-प्रधान होनी चाहिए, जिसमें कम पूँजी लगाकर अधिक लोगों को रोजगार दिया जा सके।
2. नवीन योजनाएँ:
नई-नई योजनाओं का निर्माण करना चाहिए तथा उन योजनाओं को प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए, जिसमें कम पूँजी लगाकर अधिक लोगों को रोजगार दिया जा सके। दीर्घकालीन योजनाओं के स्थान पर अल्पकालीन योजनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए ।
3. कर व्यवस्था में सुधार:
संशोधन के माध्यम से पुराने पूँजीपतियों को अधिक विनियोग हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन में वृद्धि हो और बेरोजगारी दूर हो। उत्पादन क्षेत्र में प्रवेश करने वाले पूँजीपतियों को कर में छूट देनी चाहिए।
4. प्रशिक्षण सुविधाएँ:
अप्रशिक्षित श्रमिकों को कुशल बनाने के लिए प्रशिक्षण केन्द्र खोलना चाहिए, जो उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करके बेरोजगारी समस्या को दूर कर सकती है।
5. जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण:
बेरोजगारी समस्या को हमेशा से ही समझाया जाता है कि यह हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्याएं हैं। संभवतः, यह समस्या सबसे ज्यादा उम्मीदवारों और हमारे समाज के सबसे निचले वर्ग में स्थित होती है।
इसे दूर करने के लिए, हमें पहले ही जनसंख्या व्यवस्था में बुद्धिमत्ता लानी होगी, ताकि हम बेरोजगारों की बढ़ती हुई जमात को रोक सकें।

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