सूचकांक और निर्देशांक (Index Number in Hindi)

इस आर्टिकल में आप समझेंगे कि सूचकांक और निर्देशांक (Index Number in Hindi).

  1. सूचकांक और निर्देशांक (Index Number in Hindi)
  2. सूचकांक या निर्देशांक की परिभाषाएँ (Definition of Index Number in Hindi)
  3. निर्देशांकों की विशेषताएँ (Nirdeshank Ki Visheshtayen)
  4. निर्देशांकों का महत्व एवं उपयोगिता (Importance of Index Number in Hindi)
  5. निर्देशांकों की सीमाएँ दोष

सूचकांक और निर्देशांक (Index Number in Hindi):

निर्देशांक एक विशेष प्रकार का माध्य है जो समय, स्थान अथवा अन्य विशेषताओं के आधार पर किसी तर मूल्य अथवा सम्बन्धित चर मूल्यों के समूह में होने वाले परिवर्तनों की माप है।

उदाहरण के लिए, जब हम यह कहते हैं कि भारत में 1980-81 के थोक मूल्य के निर्देशांक 100 की तुलना में बढ़कर वर्ष 1994-95 में 300 हो गया है तो इसका अर्थ यही है कि वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें वर्ष 1980-81 की में वर्ष तुलना 1994-95 में तीन गुनी बढ़ गई है।

वस्तुओं के मूल्य स्तर में तुलना करने के लिए चुनी गई प्रतिनिधि वस्तुएँ, जैसे—चावल, गेहूँ, कपड़ा, दाल, तेल, मकान का किराया आदि की कीमत को आधार वर्ष 1980-81 में 100 मानकर वर्ष 1994-95 में इन्हीं वस्तुओं की कीमतों को आधार वर्ष की कीमतों के प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है।

प्रतिशतों का यह माध्य ही सांख्यिकी में निर्देशांक या सूचकांक कहलाता है। निर्देशांकों से दो समय अवधियों में मूल्य स्तर में होने वाले परिवर्तनों का ज्ञान हो जाता है।

इन्हें भी पढ़े: विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद और निजी आय

सूचकांक या निर्देशांक की परिभाषाएँ (Definition of Index Number in Hindi):

निर्देशांक की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

काक्सटन एवं कॉउडेन के अनुसार, “निर्देशांक सम्बन्धित चर मूल्यों के परिमाण में होने वाले अन्तरों को मापने को युक्तियाँ हैं

होरेस सेक्राइस्ट के शब्दों में, “निर्देशांक अंकों की ऐसी श्रृंखला है जिसके द्वारा किसी तथ्य के परिमाण में होने वाले परिवर्तनों का समय या स्थान के आधार पर मापन किया जाता है ।

निर्देशांकों की विशेषताएँ (Nirdeshank Ki Visheshtayen):

  1. संख्या द्वारा व्यक्त,
  2. सापेक्ष माप,
  3. प्रतिशतों का माध्य,
  4. तुलना का आधार
  5. सार्वभौमिक उपयोगिता,
  6. औसत के रूप में प्रस्तुत ।

(CHARACTERISTICS OF INDEX NUMBERS) निर्देशांकों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) संख्या द्वारा व्यक्त निर्देशांक:

संख्या से परिवर्तन की स्थिति हमेशा संख्या में व्यक्त होती है, जैसे कि मूल्यों में वृद्धि या उत्पादन में कमी। लेकिन अन्य तरह के परिवर्तन केवल शब्दों में व्यक्त होते हैं, जैसे कि मूल्यों में वृद्धि या उत्पादन में कमी।

(2) सापेक्ष माप-निर्देशांक:

हमेशा सापेक्ष होते हैं जैसे कि 100 प्रतिशत को आधार माना जाता है। यह क्योंकि परिवर्तन की मात्रा को तुलना योग्य नहीं बनाई जा सकती है, इसलिए सापेक्ष रूप में ही तुलना की जाती है।

(3) प्रतिशतों का माध्य:

निर्देशांक एक विशेष तरह का माध्य होता है, जिसके लिए सबसे पहले एक आधार वर्ष का मूल्य 100 मान लिया जाता है और इसके आधार पर प्रचलित वर्षों के मूल्यों परिवर्तित कर दिए जाते हैं। यह मूल्यानुपात कहलाते हैं और सभी मूल्यानुपातों का माध्य ज्ञात किया जाता है। इसलिए, प्रतिशतों का यह माध्य ही निर्देशांक कहलाता है।

(4) तुलना का आधार:

तुलना दो आधारों पर की जाती है- समय और स्थान। समय का आधार किसी विशेष समय के अंश को मानता है, जैसे कि वर्ष, माह या अन्य, जबकि स्थान का आधार किसी विशेष स्थान या भू-भाग को मानता है। आमतौर पर, तुलना समय के आधार पर की जाती है।

(5) सार्वभौमिक उपयोगिता:

निर्देशांक हमारी दुनिया में बहुत ज्यादा उपयोग होते हैं। हम इन्हें अर्थव्यवसायिक और आर्थिक समस्याओं की तुलना करने के लिए बहुत प्रयोग करते हैं। इस आधुनिक युग में काफी स्थान हैं जहां निर्देशांक का प्रयोग नहीं होता है।

इन्हें भी पढ़े: विशुद्ध घरेलू उत्पाद (Net Domestic Product in Hindi)

निर्देशांकों का महत्व एवं उपयोगिता (Importance of Index Number in Hindi):
  1. जीवन स्तर का तुलनात्मक अध्ययन,
  2. मुद्रा की क्रयशक्ति में परिवर्तन का ज्ञान,
  3. व्यापारियों के लिए उपयोगी,
  4. सरकार की मौद्रिक नीति के निर्धारण में सहायक,
  5. उत्पादन में वृद्धि या कमी की सूचना,
  6. वास्तविक मजदूरी सम्बन्धी जानकारी,
  7. विदेशी व्यापार सम्बन्धी ज्ञान
  8. कर नीति में सहायक,
  9. राष्ट्रीय आय में परिवर्तन का ज्ञान,
  10. अन्य लाभ ।

निर्देशांक आर्थिक और व्यावसायिक क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए उन्हें आर्थिक वायुमापक यन्त्र भी कहा जाता है। जैसे ही वायुमापक यन्त्र से हम मौसम की जानकारी प्राप्त करते हैं, उसी तरह निर्देशांक से हम आर्थिक घटनाओं की शक्ति को भी समझ सकते हैं।

व्यवसाय में निर्देशांक बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए ब्लेयर ने कहा है कि निर्देशांक व्यवसाय के पथ पर चिन्ह होते हैं जो हमें अपनी क्रियाओं का नियंत्रण या प्रबंधन कैसे करना है बताते हैं।

(1) जीवन स्तर का तुलनात्मक अध्ययन:

निर्देशांक से जनता और श्रमिकों के जीवन में हुई बदलाव का तुलना किया जा सकता है। इसके लिए, जीवन से संबंधित निर्देशांक बनाए जाते हैं जो विभिन्न वर्ग के लोगों के जीवन में हुई बदलाव का अध्ययन करने में मदद करते हैं।

(2) मुद्रा की क्रयशक्ति में परिवर्तन का ज्ञान:

निर्देशांक से सबसे बड़ा लाभ यह है कि मुद्रा की क्रयशक्ति में हुए परिवर्तनों को जाना जा सकता है। यह जानकारी आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि मुद्रा समाज में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।

(3) व्यापारियों के लिए उपयोगी निर्देशांक:

व्यापारियों और उत्पादकों के लिए हमारे सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उन्हें मुद्रा के मूल्य और सामान्य आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है, जो उन्हें अपनी उत्पादन और व्यापार की योजना बनाने में मदद करती है।

(4) सरकार की मौद्रिक नीति के निर्धारण में सहायक:

जब उत्पादन में हास से कमी होती है और मन्दी शुरू होने लगती है, तो यह समाज के सभी वर्गों पर प्रभाव डालता है। सरकार इन्हें दूर करने के लिए उचित नीति अपनाती है। इस तरह निर्देशांक मूल्य में परिवर्तन की ओर संकेत देते हुए, सरकार अपनी आर्थिक नीति निर्धारित करने में सहायता प्रदान करती है।

(5) उत्पादन में वृद्धि या कमी की सूचना:

इस निर्देशांक से पता चलता है कि कौन से उद्योगों में उत्पादन बढ़ रहा है और कौन से उद्योगों को आर्थिक सहायता या प्रोत्साहन की जरूरत है।

(6) वास्तविक मजदूरी सम्बन्धी जानकारी:

जीवन निर्वाह व्यय निर्देशांक की मदद से वास्तविक मजदूरी में परिवर्तन का अध्ययन होता है और उसके आधार पर मजदूरों के असन्तोष दूर किया जा सकता है जिससे औद्योगिक शांति स्थापित हो सके।

निर्देशांकों की सीमाएँ दोष (LIMITATIONS OF INDEX NUMBERS):

निर्देशांकों को प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) सापेक्ष परिवर्तनों का माप निर्देशांकों से ही हो सकता है, लेकिन इससे वास्तविक परिवर्तन की मात्रा नहीं बोध होती है, क्योंकि निर्देशांक प्रतिशतों में आधारित होते हैं।

(2) निर्देशांकों में पूर्णशुद्धता की कमी होती है जब हम समग्र में से कुछ इकाइयों को निदर्शन द्वारा चुनते हैं। इसलिए, इन इकाइयों के आधार पर बने निर्देशांक समझदार और विश्वसनीय नहीं होते हैं।

(3) अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अलग-अलग निर्देशांक बनाने होते हैं क्योंकि वे विभिन्न ऐतियों द्वारा निर्मित होते हैं। इसलिए, एक उद्देश्य के लिए बने निर्देशांक दूसरे उद्देश्य के लिए सही नहीं होते हैं।

(4) आधार वर्ष का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे समस्त निर्देशांक के परिणाम निर्भर होते हैं। अगर आधार वर्ष एक असामान्य वर्ष हो जिससे परिणाम वर्ष नहीं होता, तो ऐसे निर्देशांक के द्वारा हुए निष्कर्ष अजीब होंगे।

Leave a Comment

error: Content is protected !!