जैसे कि पिछले आर्टिकल में आपने समझा कि बीमा क्या है और उससे जुड़े सभी प्रकार के तथ्यों के बारे में आपने गहराई से अध्ययन किया।
आज हम आपको इस आर्टिकल की मदद से बताएंगे कि जीवन बीमा क्या है Jivan Bima Kya Hai in Hindi और इससे जुड़े सभी प्रकार के तथ्यों के बारे में भी गहराई से जानकारी देंगे।
इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि मानव जीवन को दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है परंतु जीवन बीमा के माध्यम से होने वाली क्षतिपूर्ति या आर्थिक हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
वैसे तो हम सभी जानते हैं कि बीमा के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने परिवार पर आने वाले संकट को काफी हद तक दूर कर सकता है।
Highlights:
- जीवन बीमा क्या है
- जीवन बीमा की परिभाषाएं क्या है
- जीवन बीमा का उद्देश्य क्या है
- जीवन बीमा के सिद्धांत क्या है
- जीवन बीमा पत्रों के प्रकार
- जीवन बीमा की विशेषताएं
- जीवन बीमा कैसे कराएं
चलिए सबसे पहले समझते हैं कि जीवन बीमा क्या है Jeevan Bima Kya hai in Hindi
जीवन बीमा क्या है Jivan Bima Kya Hai:
जीवन बीमा के अंतर्गत बीमा करवाने वाला और बीमा करने वाले को कुछ निश्चित राशि प्रीमियम के रूप में भुगतान करनी पड़ती है जिसके बदले में बीमाकर्ता, बीमाधारी को यह वचन देता है कि अवधि पूर्ण होने के बाद अथवा अवधि पूर्ण होने से पहले यदि बीमाधारी कि मृत्यु हो जाती है तो एक निश्चित धनराशि का भुगतान करेगा।
आपको बता दें कि जीवन बीमा में सुरक्षा के साथ-साथ विनियोग दोनों प्रकार के तत्व शामिल रहते हैं यानी कि एक निश्चित समय के पूर्व अगर बीमाधारी कि मृत्यु हो जाती है तो धनराशि उसके उत्तराधिकारी को प्राप्त होगी।
हमारे देश में जीवन बीमा का कार्य मुख्य रूप से भारतीय जीवन बीमा निगम Life Insurance corporation of India L.I.C. के द्वारा किया जाता है।
जीवन बीमा की परिभाषाएं:
जीवन बीमा की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं:
जीवन बीमा अधिनियम की धारा 2 (12) के अनुसार,
“जीवन बीमा व्यवसाय से अर्थ उस व्यवसाय से है जिसके अन्तर्गत मानव जीवन का बीमा सम्पन्न किया जाता है।”
जे. एच. मैगी के अनुसार,
“जीवन बीमा अनुबन्ध ऐसा ठहराव है जिसमें बीमाकर्ता बीमाधारी को एक निश्चित धनराशि निश्चित अवधि के बाद अथवा उसकी मृत्यु पर उसके लाभार्थी को देने का वचन देता है।”
जीवन बीमा का उद्देश्य क्या है:
Jivan Bima में सुरक्षा और विनियोग दोनों प्रकार के तत्व शामिल रहते हैं और यही दोनों इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं अर्थात जब भी कोई व्यक्ति जीवन बीमा करवाता है तो उन्हें दोनों प्रकार के तत्वों से लाभ प्राप्त होता है, जिसकी वजह से जीवन बीमा में मुख्य रूप से दो उद्देश्य है:
- सुरक्षा का उद्देश्य
- विनियोग का उद्देश्य
1. सुरक्षा का उद्देश्य:
जीवन बीमा हो या किसी भी अन्य प्रकार का बीमा इन सभी में एक बात की समानता है कि इनका प्रथम उद्देश्य सुरक्षा प्रदान करना होता है, बीमा करवाने वाले कि यदि आकस्मिक मृत्यु हो जाती है तो उससे होने वाली आर्थिक हानि को सुरक्षा के उद्देश्य के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकता है।
2. विनियोग का उद्देश्य
जीवन बीमा में सुरक्षा तो एक महत्वपूर्ण पहलू है ही साथ में या विनियोग जैसे बढ़िया साधन भी मुहैया करवाता है बीमा करवाने वाला थोड़ी-थोड़ी धनराशि एक बहुत बड़ी बीमा कंपनी में जमा करता है।
यदि बीमित व्यक्ति की समय अवधि से पूर्व मृत्यु हो जाती है तो उस समय तक जमा की गई सभी धनराशि उसके उत्तराधिकारी को प्राप्त होती है।
जीवन बीमा के सिद्धांत क्या है?
Jivan Bima के मुख्य रूप से दो सिद्धांत है पहला परम सदविश्वास का सिद्धांत और दूसरा बीमा योग्य हित का सिद्धांत।
- परम सदविश्वास का सिद्धांत:
इस सिद्धांत के अनुसार इसमें बीमा करवाने वाला तथा बीमा करने वाला दोनों के मध्य किसी भी बात को लेकर या कोई भी तथ्य को नहीं छुपाना चाहिए।
- बीमा योग्य हित का सिद्धांत:
इस सिद्धांत का अभिप्राय यह है कि बीमा कराने वाले का बीमा किए जाने वाले व्यक्ति के जीवन में बीमा योग्य हित होना चाहिए।
जीवन बीमा पॉलिसीज़ के प्रकार Types of life Insurance Policies in Hindi:
लाइफ़ इंश्योरेंस पॉलिसीज़ के विभिन्न प्रकार हैं:
आजीवन बीमा पत्र:
जैसे कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि इस बीमा पॉलिसी के अंतर्गत पूरे जीवन के लिए बीमा करवाया जा सकता है और इसमें बीमा राशि बीमित व्यक्ति को प्राप्त ना होकर उसकी मृत्यु होने के बाद उसके उत्तरा अधिकारियों को प्राप्त होती है।
यह परिवार कल्याण और सुरक्षा प्रदान करने का एक बढ़िया साधन हो सकता है इसके साथ ही इन बीमा पॉलिसी में प्रीमियम दर भी बहुत कम होती है और इसके कुछ प्रकार भी निम्नलिखित है:
- सीमित प्रीमियम वाला आजीवन बीमा पत्र
- साधारण आजीवन बीमा पत्र
- एक प्रीमियम वाला आजीवन बीमा पत्र
1. सीमित प्रीमियम वाला आजीवन बीमा पत्र:
यह एक ऐसा बीमा पत्र होता है जिसमें प्रीमियम देने का समय निश्चित होता है और निश्चित अवधि के बाद प्रीमियम का भुगतान नहीं किया जा सकता है परंतु बीमा की राशि बीमाधारी की मृत्यु के बाद उसकी उत्तरा अधिकारियों को मिलती है।
2. साधारण आजीवन बीमा पत्र:
इस प्रकार की बीमा पॉलिसी में बीमाधारी अपने पूरे जीवन काल में प्रीमियम का भुगतान करता है जिसके वजह से साधारण आजीवन बीमा पत्र में प्रीमियम की दर भी सबसे कम होती है।
3. एक प्रीमियम वाला आजीवन बीमा पत्र:
जैसे कि नाम से पता चला है कि इस बीमा पॉलिसी में प्रीमियम राशि का भुगतान केवल एक ही बार करना पड़ता है और यह राशि भी बहुत अधिक होती है।
बंदोबस्ती बीमा पॉलिसी:
यह सभी बीमा पॉलिसी में सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है इस पॉलिसी में एक निश्चित समय के लिए बीमा किया जाता है, और उस निश्चित समय तक जीवित रहने पर उस बीमाधारी को बीमा कंपनी के जरिए यह पूर्ण निश्चित रकम मिलती है।
परंतु अगर किसी कारणवश बीमाधारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके उत्तराधिकारी को बीमा कंपनी के जरिए यह पूर्व निश्चित रकम प्राप्त होती है।
इसकी प्रीमियम दर भी अन्य बीमा पॉलिसी की अपेक्षा अधिक होती है, इसके कुछ प्रकार है:
- साधारण बंदोबस्ती जीवन बीमा पॉलिसी
- संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी
- वार्षिकी जीवन बीमा पॉलिसी
- अवधी जीवन बीमा पॉलिसी
- सामूहिक जीवन बीमा पॉलिसी
- बहुउद्देशीय जीवन बीमा पॉलिसी
- शिक्षण बीमा पॉलिसी
- दोहरा बंदोबस्ती जीवन बीमा पॉलिसी
- विलंबित बंदोबस्ती जीवन बीमा पॉलिसी
1. साधारण बंदोबस्ती जीवन बीमा पॉलिसी:
यह बीमा पॉलिसी एक निश्चित समय के लिए होता है और इसमें बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त होने पर संपूर्ण धनराशि बीमाधारी को अथवा बीमाधारी की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को प्राप्त होती है।
2. संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी:
संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी में दो या दो से अधिक व्यक्ति एक ही बीमा पॉलिसी ले सकते हैं जिनमें किसी एक की मृत्यु होने पर बीमा की राशि अन्य से व्यक्तियों को मिलती है।
ऐसा देखा गया है कि इस प्रकार की बीमा पॉलिसी का उपयोग अक्सर पति पत्नी अथवा साझेदार करते हैं, यानी कि यह बीमा पॉलिसी Partnership Firm के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी साबित होता है।
क्योंकि Partnership Firm में यदि किसी एक Partner की मृत्यु हो जाती है तो दूसरा Partner शेष बीमा राशि का भुगतान करने में असमर्थ होता है जिसके बाद जीवन बीमा निगम के जरिए संयुक्त जीवन बीमा पॉलिसी को देय राशि का भुगतान करने का सुविधा मौजूद रहता है।
3. वार्षिकी जीवन बीमा पॉलिसी:
इस बीमा पॉलिसी के अनुसार जो भी व्यक्ति को बीमा कराना रहता है वह रकम का भुगतान एकमुश्त कर सकता है, जिसके बाद बीमा कंपनी यह वचन देती है कि जब तक व्यक्ति जीवित रहेगा तब तक वह निश्चित रकम का भुगतान किस्तों में जैसे कि मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक में करेगा।
इस प्रकार की जीवन बीमा Policy का मुख्य उद्देश्य वृद्धावस्था में जीवन निर्वाह करना होता है यानी कि इसमें मृत्यु से सुरक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य शामिल नहीं होता है।
4. अवधी जीवन बीमा पॉलिसी:
इसे हम टर्म लाइफ पॉलिसी term life policy भी कहते हैं, इस प्रकार की Insurance Policy को सामान्य रूप से एक से 7 वर्षों के लिए कराया जाता है और यह एक अस्थायी बीमा के अंतर्गत आता है, इसकी प्रीमियम दर भी अन्य बीमा पॉलिसी की अपेक्षा कम होती है।
यह बीमा केवल सुरक्षा के तत्व प्रदान करता है ना की विनियोग के तत्व साथ ही यह पॉलिसी सबसे सस्ता बीमा पॉलिसी में से एक है।
5. सामूहिक जीवन बीमा पॉलिसी:
जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है कि इस बीमा पॉलिसी में एक वर्ग या समूह के लोगों का बीमा एक साथ कराया जाता है, उदाहरण के लिए किसी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों का एक साथ कराया गया जीवन बीमा इसी सामूहिक Life Insurance Policy के अंतर्गत आता है। इसका कॉन्ट्रैक्ट नियोजक करने वाला और बीमा कंपनी के मध्य होता है।
6. बहुउद्देशीय जीवन बीमा पॉलिसी:
इस प्रकार की Life Insurance Policy में बीमा कराने वाली के परिवार वालों का उचित देखभाल के लिए अनेक प्रकार के लाभ व्यवस्था कराई जाती है, बीमा कराने वाले व्यक्ति की निश्चित अवधि से पहले मृत्यु हो जाती है तो बीमा कंपनी उनके परिवार वालों की देखभाल के लिए उचित व्यवस्था प्रदान करती है जैसे कि: मृतक के अंतिम संस्कार के लिए धन देना, बच्चों की आगे की पढ़ाई के लिए शिक्षा मुहैया कराना, परिवार के पालन पोषण के लिए धन देना इत्यादि।
7. शिक्षण बीमा पॉलिसी:
एक बीमा पॉलिसी के अनुसार पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए एक निश्चित अवधि तक Premium करवाता है जिसके बाद बीमा कंपनी अवधि पूर्ण होने के बाद निश्चित धनराशि को मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक किस्तों में दे सकती है।
यदि किसी कारणवश Premium जमा करने की अवधि के दौरान बीमाधारी की मृत्यु हो जाती है तो Premium की शेष राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और बीमा कंपनी के द्वारा बच्चों की शिक्षा ग्रहण करने के लिए दी जाने वाली किस्तों में किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है।
8. दोहरा बंदोबस्ती जीवन बीमा पॉलिसी:
इस Jivan Bima पॉलिसी के अंतर्गत बीमा करवाने वाले व्यक्ति की मृत्यु एक निश्चित अवधि के दौरान हो जाती है तो बीमा पॉलिसी की संपूर्ण राशि उसके उत्तराधिकारियों को प्राप्त होती है परंतु यदि वह निश्चित अवधि तक जीवित रहता है तो उसे बीमा पॉलिसी की राशि का दुगनी के बराबर का भुगतान प्राप्त होता है, जिसकी वजह से इसे दोहरा बंदोबस्ती जीवन बीमा पॉलिसी कहते हैं।
9. विलंबित बंदोबस्ती जीवन बीमा पॉलिसी:
इस बीमा पॉलिसी के अनुसार धन राशि का भुगतान निश्चित अवधि के बाद ही मिलता है फिर चाहे बीमा करवाने वाली की मृत्यु ही क्यों ना हो जाए।
Jivan Bima Ki Visheshtayen:
जीवन बीमा की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- यह बीमा कराने वाला और बीमा करने वाले के मध्य का एक अनुबंध होता है।
- यह सुरक्षा के साथ-साथ विनियोग के तत्व भी उपलब्ध कराता है।
- इसमें मानव जीवन की काफी हद तक सुरक्षा हो जाती है।
- जीवन बीमा में बीमाकर्ता Premium का भुगतान करता है तो वही बीमा करने वाला प्रतिफल का भुगतान करता है।
- मानव जीवन के जीवन में घटित होने वाले विभिन्न प्रकार की घटनाओं के लिए बीमा करवाया जाता है।
- यदि कोई बीमाकर्ता अपने Premium का भुगतान नहीं करता है तो बीमा कंपनी अपने अनुबंध को बंद करा सकता है।
- जीवन बीमा पर केवल और केवल बीमाकर्ता के हस्ताक्षर होते हैं।
जीवन बीमा क्या होता है Jivan Bima Kya Hota Hai, जीवन बीमा की परिभाषाएं, उद्देश्य और सिद्धांतों को समझने के बाद चलिए आप समझते हैं कि हम जीवन बीमा कैसे करा सकते हैं?
जीवन बीमा कैसे कराएं Jivan Bima Kaise Karaye:
जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण सन 1956 हुआ, जिसके बाद भारतीय जीवन बीमा निगम को जीवन बीमा करने का एकाधिकार मिला। जिन भी व्यक्तियों को जीवन बीमा कराना होता है उन्हें अधिकृत एजेंट से संपर्क स्थापित करके इन प्रक्रियाओं के जरिए जीवन बीमा करा सकता है और यह प्रक्रिया निम्नलिखित हैं:
- बीमा के लिए प्रस्ताव पत्र
- आयु का प्रमाण पत्र
- स्वास्थ्य परीक्षण
- एजेंट की गोपनीय रिपोर्ट
- प्रस्ताव पत्र की स्वीकृति
- प्रथम किस्त का भुगतान और जोखिम का प्रारंभ
- बीमा पत्र का निर्गमन
1. बीमा के लिए प्रस्ताव पत्र:
जिन भी व्यक्ति को Jivan Bima कराना होता है उन्हें सबसे पहले प्रस्ताव पत्र भरना पड़ता है जिनमें कुछ आवश्यक जानकारी जैसे कि नाम, पता, स्वास्थ्य, पारिवारिक जानकारी, व्यवसाय या पेशा को फिल करना होता है।
2. आयु का प्रमाण पत्र:
जीवन बीमा कराने के लिए व्यक्ति को अपना आयु प्रमाण पत्र देना होता है।
3. स्वास्थ्य परीक्षण:
यह सभी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद बीमा कराने वाले व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य परीक्षा देना पड़ता है और यह स्वास्थ्य परीक्षण निगम के द्वारा कोई भी अधिकृत डॉक्टर के द्वारा की जाती है।
4. एजेंट की गोपनीय रिपोर्ट:
जिस एजेंट के जरिए से बीमा कराने वाले का बीमा हो रहा है उसके संबंध में जीवन बीमा निगम में उसका गोपनीय रिपोर्ट देना होता है और बीमा एजेंट अपनी इस गोपनीय रिपोर्ट में बीमा कराने वाले के संबंध में अपनी आवश्यक जानकारी भी देता है जिसमें वह यह समझता है कि वह व्यक्ति बीमा कराने योग्य है जिसके बाद दिया प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
5. प्रस्ताव पत्र की स्वीकृति:
जीवन बीमा निगम के द्वारा प्रस्ताव पत्र पर विचार किया जाता है और इसे योग्य समझने के बाद आगे बढ़ाया जाता है जिसके बाद एक स्वीकृत पत्र भी भेजता है जिसमें प्रीमियम राशि का जमा करने कहा जाता है।
6. प्रथम राशि का भुगतान और जोखिम का प्रारंभ:
जैसी ही प्रस्ताव पत्र स्वीकृत होता है, बीमा कराने वाले को पहला किस्त देना पड़ता है और यह किस्त प्रतिमाह, तिमाही, छमाही और वार्षिक हो सकता है जैसी ही प्रथम किस्त का भुगतान होता है जोखिम का भी आरंभ हो जाता है।
7. बीमा पॉलिसी का निर्गमन:
अब इसके बाद अंत में बीमा करने वाला बीमा पॉलिसी तैयार करता है जिसे बीमा कराने वाले के पास भेज देता है। इसमें जीवन बीमा निगम की कॉमन सील लगी हुई होती है और सक्षम अधिकारी के भी हस्ताक्षर होते हैं।
Conclusion:
आपने समझा कि Jivan Bima Kya Hai जीवन बीमा क्या है, Jivan Bima Ki Visheshtayen और इसके साथ ही Types of life Insurance Policies in Hindi के बारे में भी समझा.
जीवन बीमा का मतलब क्या है?
जीवन बीमा के अंतर्गत बीमा करवाने वाला और बीमा करने वाले को कुछ निश्चित राशि प्रीमियम के रूप में भुगतान करनी पड़ती है जिसके बदले में बीमाकर्ता, बीमाधारी को यह वचन देता है कि अवधि पूर्ण होने के बाद अथवा अवधि पूर्ण होने से पहले यदि बीमाधारी कि मृत्यु हो जाती है तो एक निश्चित धनराशि का भुगतान करेगा।
जीवन बीमा कराने से क्या फायदा है?
जीवन बीमा कराने से फायदे:
यह बीमा कराने वाला और बीमा करने वाले के मध्य का एक अनुबंध होता है।
यह सुरक्षा के साथ-साथ विनियोग के तत्व भी उपलब्ध कराता है।
इसमें मानव जीवन की काफी हद तक सुरक्षा हो जाती है।

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