नमस्कार दोस्तों आज हम समझेंगे की KPO Kya Hai और इससे जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी आपको देने का प्रयास करेंगे तो बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
KPO Kya Hai:
यह एक प्रकार का उच्च स्तरीय कदम है जिसमें हम बिजनेस को बहुत ही कम खर्चों में और सफलतापूर्वक चलाने के लिए उच्च स्तरीय ज्ञान की जरूरत वाले कार्य संगठनों से का अपना कार्य करवाते हैं।
यह BPO से एक कदम आगे का level है, यानी कि BPO में Process Expertise को ध्यान में रखकर कार्य किया जाता है तो वही दूसरी ओर केपीओ में Knowledge Expertise को ध्यान में रखकर कार्यों को किया जाता है।
BPO में किसी भी समस्या को हल करने के लिए एक निर्धारित मार्ग दिया जाता है, तो वही केपीओ में अंतिम निर्णय तक पहुंचने के लिए इसका कोई पूर्व निर्धारित मार्ग नहीं होता है बल्कि उस समय कार्य करने वाले व्यक्ति को यह निर्णय स्वयं लेना पड़ता है।
BPO किस क्षेत्र में काम करने वाली व्यक्ति को Knowledge और कंपनियों के अनुसार Fluent English बोलने भी आना चाहिए।
तो वहीं दूसरी ओर केपीओ के क्षेत्र में कार्य करने वाले के लिए व्यक्ति को अपने Field का Specialized Knowledge, English बोलने आना चाहिए, Positive Attitude और Experience भी होना चाहिए।
KPO Full Form in Hindi:
KPO का Full Form Knowledge Process Outsourcing
KPO Full Form in Hindi: ज्ञान प्रक्रिया बाह्याकरण
Service Covered under KPO:
- शोध एवं विकास
- व्यावसायिक एवं तकनीकी विश्लेषण
- सजीव चित्र एवं डिजाइन
- व्यावसायिक एवं विपणन शोध
- औषधि निर्माण
- चिकित्सा सेवाएँ
- लेखन एवं विषय-वस्तु विकास
- कानूनी सेवाएँ
- बुद्धिजीवी सम्पत्ति शोध
- आँकड़ों का विश्लेषण
- नेटवर्क प्रबंधन
- प्रशिक्षण एवं परामर्श
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KPO की आवश्यकता:
आज के समय में कंपनियों का पूरा ध्यान Core Specialisation Areas पर है, और अन्य सभी कार्यों को कंपनियां बाहर से करवा रही है।
कुछ ही समय से बहुत सारी कंपनियों ने यह महसूस किया है कि कम महत्वपूर्ण कार्यों को संगठन से बाहर करवाने पर केवल लागतो में कमी नहीं होती बल्कि कुशलता में भी वृद्धि इसके साथ ही पूरे व्यवसाय में भी सुधार हो जाता है।
इसका मुख्य कारण केपीओ की सहायता लेने पर कंपनियों का पूरा ध्यान मुख्य कार्यों पर ही चला जाता है जिससे उनका आर्थिक विकास अधिक होता है।
भारत में KPO के क्षेत्र:
हम सभी तो यह जानते हैं कि हमारे देश में BPO की सफलता के बाद से ही केपीओ का आगमन हुआ है, BPO के वजह से भी विदेशों की कंपनियों को भी काफी लाभ प्राप्त हुआ है।
इन्हीं सब चीजों को देखते हुए कंपनियों को यह महसूस हुआ है कि High End Knowledge Skill जरूरत वाले कार्य भी अब कंपनियों को करने होंगे।
- Cost saving
- Operational efficiency
- Availability of high skilled workforce
- Improve the quality
इन सब चीजों पर ध्यान देकर कार्य करना होगा, और जो कंपनियां इन सभी उच्च स्तरीय लेवल के कार्यों को करवाती है उन्हें केपीओ के क्षेत्रों की तरफ देखना होगा।
जिसकी वजह से भारत में केपीओ का क्षेत्र आगे बढ़ता जा रहे हैं और इस क्षेत्र में जॉब की उम्मीदें भी बहुत सारी हैं।
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KPO की विशेषताएं (Features of KPO):
- इसका मुख्य उद्देश्य प्रक्रिया की कुशलता की तुलना में व्यापारिक कुशलता प्रदान करना है।
- यह लागत को कम करता है बचत करने में सहायता प्रदान करता है और इसके साथ ही कुशलता को बढ़ाता है।
- यह Knowledge Expertise पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
- केपीओ और BPO एक दूसरे से ज्यादा अलग नहीं है, इसलिए दोनों ही क्षेत्र का प्रचलन हमेशा रहेगा।
- इसमें अंतिम निर्णय लेने के लिए कोई पूर्व निर्धारित मार्ग नहीं होता है।
- यह कई सारे एक्सपर्ट लोगों के लिए एक वैकल्पिक कैरियर स्रोत हो सकता है।
- हमारे देश में BPO की सफलता के बाद से ही KPO का आगमन हुआ।
BPO और KPO में अंतर:
BPO और KPO में अंतर कुछ इस प्रकार से है:
BPO | KPO |
BPO में किसी भी समस्या को हल करने का निर्धारित मार्ग दिखाया जा सकता है। | इसमें किसी भी समस्या को हल करने के लिए कोई निर्धारित मार्ग नहीं होता बल्कि व्यक्ति को स्वयं इसे निर्धारित करना होता है। |
BPO में कार्य करने वाले व्यक्ति के पास ज्ञान और कंपनियों के अनुसार अंग्रेजी बोलना आना जरूरी है। | इसमें कार्य करने वाले के पास Special Knowledge, Positive Attitude, Work Experience और Fluent English बोलने आना चाहिए। |
यह Process Expertise पर आधारित होता है। | यह Knowledge Expertise पर आधारित होता है। |

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