आज हम इस आर्टिकल कि मदद से मजदूरी यानी कि Wages in Hindi के बारे में पूरी जानकारी देंगे:
- मजदूरी क्या है (Majduri Kya Hai)
- मजदूरी का अर्थ और परिभाषा (Majduri Ki Paribhasha)
- मजदूरी को प्रभावित करने वाले तत्व
- मजदूरी में अन्तर
- श्रम की पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व
मजदूरी क्या है (Majduri Kya Hai):
श्रमिकों को उनकी सेवाओं के बदले में जो पुरस्कार दिया जाता है, उसे ही अर्थशास्त्र में मजदूरी जाता है।
मजदूरी शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है—प्रथम, संकुचित अर्थ में और द्वितीय में संकुचित अर्थ में, मजदूरी यह भुगतान है जो एक फर्म द्वारा एक श्रमिक को उसकी सेवा के लिए दिया है।
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मजदूरी का अर्थ और परिभाषा (Majduri Ki Paribhasha):
विस्तृत अर्थ में मजदूरी की परिभाषा निम्न प्रकार है-
प्रो. मार्शल के अनुसार, “श्रम के प्रयोग के लिए दी गयी कीमत मजदूरी कहलाती है
प्रो. सेलिगमैन के शब्दों में, “श्रम का वेतन ही मजदूरी है
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय आय का वह भाग जो श्रमिकों को उनकी सेवा के में दिया जाता है, मजदूरी है।
(METHODS OF WAGE PAYMENT):
मजदूरी भुगतान की प्रमुख रूप से दो रीतियाँ हैं—
(अ) समयानुसार मजदूरी — समयानुसार मजदूरी उसे कहा जाता है जो कार्य करने को है अनुसार दी जाती है, उदाहरणार्थं दैनिक, साप्ताहिक अथवा मासिक मजदूरी । इस रीति से श्रमिक काम करे अथवा अधिक, समान कार्य करने वाले श्रमिकों को प्रायः एक समान मजदूरी दी जाती है।
समयानुसार मजदूरी के गुण समयानुसार मजदूरी के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(1) सरलता—इस रीति में केवल श्रमिकों के कार्य के समय को ध्यान में रखना पड़ता है। समय आधार पर मजदूरी का सरलता से हिसाब लग जाता है। एक अशिक्षित श्रमिक भी अपनी मजदूरों का हिसाब व आसानी से लगा लेता है ।
(2) कार्य में स्थायित्व – इस रीति में श्रमिकों के कार्य में स्थायित्व बना रहता है । अतः अधिक को बात की चिन्ता नहीं रहती कि उसका काम समाप्त हो जाने पर उसे अन्यत्र कहाँ काम ढूँढ़ना पड़ेगा.
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समयानुसार मजदूरी के गुण:
- सरलता,
- कार्य में स्थायित्व,
- श्रमिकों के स्वास्थ्य की रक्षा,
- कलात्मक कार्यों के लिए श्रेष्ठ,
- कार्य गुणात्मक रूप से अधिक अच्छा
समयानुसार मजदूरी के दोष:
- उत्पादन में कमी,
- कुशल एवं अकुशल श्रमिकों में अन्तर न होना,
- निरीक्षण की आवश्यकता,
- औद्योगिक विवाद की आशंका ।
कार्यानुसार मजदूरी के गुण:
- उत्पादन में वृद्धि,
- श्रमिकों को अधिक आय,
- निरीक्षण की कम आवश्यकता,
- उत्पादन व्यय में कमी,
- श्रम व पूँजी में अधिक अच्छे संबंध
कार्यानुसार मजदूरी के दोष:
- गुणवत्ता में कमी,
- श्रमिकों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव,
- कलात्मक कार्यों के लिये अनुपयुक्त,
- प्रबंध की अयोग्यता का प्रभाव,
- आपसी ईर्ष्या व द्वेष ।
वास्तविक मजदूरी को प्रभावित करने वाले तत्व:
- मौद्रिक मजदूरी की मात्रा
- मुद्रा की क्रय शक्ति,
- अतिरिक्त आय,
- प्रासंगिक लाभ,
- कार्य की प्रकृति,
- भविष्य में उन्नति की आशा,
- कार्य के घण्टे,
- आराम एवं छुट्टियाँ,
- सामाजिक प्रतिष्ठा,
- व्यावसायिक व्यय,
- व्यावसायिक प्रशिक्षण की लागत,
- आश्रितों को रोजगार की सुविधा ।
मजदूरी में अन्तर:
- कार्य का स्वभाव,
- कार्यकुशलता में अन्तर,
- रोजगार की दशा,
- श्रम की गतिशीलता में अन्तर,
- योग्यता में अन्तर,
- उत्तरदायित्व,
- प्रशिक्षण व्यय में अन्तर,
- उन्नति के अवसर,
- काम का समय,
- सामाजिक प्रतिष्ठा,
- जीवन-स्तर में अन्तर,
- मूल्य-स्तर में भिन्नता,
- श्रम संघ,
- माँग व पूर्ति की दशाओं में अन्तर ।
श्रम की पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व:
- जनसंख्या का आकार,
- मौद्रिक आय में वृद्धि की इच्छा,
- जीवन-स्तर,
- प्रशिक्षण,
- घर का मोह,
- आदत, संस्कार तथा परम्परा का प्रभाव,
- व्यावसायिक हस्तांतरण,
- कार्य-अवकाश अनुपात ।

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