आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक के बारे में पूरी जानकारी देंगे जैसे कि:
- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना
- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना का उद्देश्य क्या है
- रिजर्व बैंक द्वारा साख नियंत्रण
- रिजर्व बैंक के वर्जित कार्य
- रिजर्व बैंक की सफलताएँ
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना (ESTABLISHMENT OF RESERVE BANK OF INDIA IN HINDI):
भारत में बैंकिंग व्यवसाय के चहुँमुखी विकास के लिए सर्वप्रथम वारेन हेस्टिंग्स ने जोर देते हुए जनाल बैंक ऑफ बंगाल एण्ड बिहार को भारत का केन्द्रीय बैंक बनाने का सुझाव दिया था।
इस सुझाव का उद्देश्य मा कि यह केन्द्रीय बैंक, भारत के अन्य बैंकों का समय-समय पर मार्गदर्शन कर सकेगा तथा उनका उचित नियमन एवं नियंत्रण रखकर इनको गतिविधियों की सूचना अंग्रेज सरकार को दे सकेगा।
सन् 1913 में चेम्बरलिन आयोग ने भी भारत में केन्द्रीय बैंक को स्थापना का मुख्य दिया था। तत्कालीन सरकार ने इस सुझाव के आधार पर तथा केन्द्रीय बैंक की आवश्यकता को महसूस करते हुए तीन देशी बैंकों को मिलाकर सन् 1920 में इम्पीरियल बैंक की स्थापना केन्द्रीय बैंक के रूप में को, किन्तु नोट विका अधिकार सरकार ने अपने पास ही रखा।
सन् 1926 में हिल्टनबंग आयोग ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ही देश का केन्द्रीय बैंक बनाने का सुझाव दिया। ममू 1931 में केन्द्रीय बैंकिग जाँच समिति ने भी इस सुझाव कार्यान्वित करने हेतु जोरदार शब्दों में सिफारिश की।
इस प्रकार सन् 1933 में भारतीय रिजर्व बैंक पारित कर दिया गया और 1 अप्रैल, 1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना तथा 1 जनवरी, 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया.
रिजर्व बैंक की स्थापना के उद्देश्य पत्र) व (OBJECTIVES OF ESTABLISHMENT OF THE RESERVE BANK):
रिजर्व बैंक की स्थापना के उद्देश्य:
- बैंकिंग का विकास,
- कोषों का केन्द्रीयकरण,
- मुद्रा बाजार का संगठन,
- मुद्रा एवं साख नीति में समन्वय,
- रुपये के मूल्य में स्थिरता, 6. कृषि साख का प्रबंध,
- आँकड़ों का संकलन एवं प्रकाशन,
- अन्तर्राष्ट्रीय प्रवृत्ति,
- विदेशों से मौद्रिक सम्पर्क,
- सार्वजनिक ऋणों की व्यवस्था,
- सरकार का बैंकर ।
रिजर्व बैंक की स्थापना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है-
(1) बैंकिंग का विकास: देश में एक ऐसे केन्द्रीय बैंक की आवश्यकता थी जो अन्य बैंकों का समुचित -प्रदर्शन कर सके, ताकि देश में बैंकिंग का विकास सही दिशा में हो।
(2) कोषों का केन्द्रीयकरण: प्रत्येक बैंकों के पृथक कोष होने के कारण बैंक के प्रति जनता का विश्वास उत्पन्न नहीं हो पा रहा था, अतः यह अनुभव किया गया कि सभी बैंकों के कोशों के केन्द्रीयकरण हेतु पृथक से एक केन्द्रीय बैंक किया जाये।
(3) मुद्रा बाजार का संगठन: रिजर्व बैंक की स्थापना के पूर्ण देश के मुद्रा बाजार के विभिन्न अंगों में सहयोग एवं समन्वय का नाम था, इसलिए रिजर्व बैंक की स्थापना की गई।
(4) मुद्रा एवं साख नीति में समन्वय: रिजर्व बैंक की स्थापना के पूर्व मुदा का निर्गमन सरकार द्वारा और साथ नियंत्रण इम्पीरियल बैंक किया था। इस नियंत्रण के दोहरेपन को समाप्त करने के लिए मुद्रा और साथ में उचित समय लाने के लिए रिजर्व बैंक की की गयी।
(5) रुपये के मूल्य में स्थिरता: रिजर्व बैंक की स्थापना के में रुपये के आंतरिक और बाह्य मूल्यों में स्थिरता नहीं लायी.
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(ब) साधारण बैकिंग संबंधी कार्य (General Banking Functions)
रिजर्व बैंक द्वारा साधारण बैंकिंग संबंधी किये जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकारों, बैंकों, संस्थाओं व व्यक्तियों से बिना ब्याज के जमा स्वीकार करना।
(2) भारत में शोधनीय अधिकतम 90 दिन की अवधि के ऐसे व्यापारिक बिलों एवं प्रतिज्ञापत्रों का क्रय और विक्रय करना है
(3) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य देशों की केन्द्रीय बैंकों में खाता खोलना।
(4) विश्व बैंक के साथ लेन-देन करना।
(5) स्वर्ण सिक्कों एवं धातु का क्रय-विक्रय करना।
(6) भारत में शोधनीय अधिकतम 35 माह की अवधि के दो श्रेष्ठ हस्ताक्षरों से युक्त कृषि विलो व प्रोनोटों को कम करना, उनका विक्रय करना एवं उनको पुनः कटौती करना।
(7) भारत के बाहर अन्य किसी देश की ऐसी प्रतिभूतियों को खरीदना जो क्रय की तारीख से 10 वर्ष के अन्दर शोधनीय हो।
(8) मुद्रा प्रतिभूतियों एवं आभूषणों को सुरक्षित रखना।।
(9) अधिकतम 30 दिन की अवधि के लिए अधिक से अधिक अपनी कुल पूँजी की राशि तक के अन्य देशों के केन्द्रीय बैंकों या अपने हो सदस्य बैंकों से लेना।
(10) सदस्य बैंकों से दो लाख या इससे अधिक की राशि के विदेशी विनिमय का क्रय-विक्रय करना
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रिजर्व बैंक द्वारा साख नियंत्रण:
- बैंक दर,
- खुले बाजार की क्रियाएँ,
- परिवर्तनशील नगद कोषानुपात,
- तरल कोषानुपात,
- चयनात्मक साख नियंत्रण,
- पुनर्वित्त,
- नैतिक दबाव की नीति
रिजर्व बैंक के वर्जित कार्य (PROHIBITED FUNCTIONS OF RESERVE BANK IN HINDI):
रिजर्व बैंक निम्नलिखित कार्य नहीं कर सकता-
(i) रिजर्व बैंक जनता से ब्याज पर जमा स्वीकार नहीं कर सकता।
(ii) रिजर्व बैंक किसी प्रकार का व्यवसाय नहीं कर सकता। किसी व्यापारिक संस्था में सामान्यतः न हिस्सा ले सकता है और न ही उसे आर्थिक सहायता दे सकता है।
(iii) रिजर्व बैंक निश्चित अवधि के लिए ऋण नहीं दे सकता है।
(iv) रिजर्व बैंक गैर जमानती ऋण नहीं दे सकता।
(v) रिजर्व बैंक अचल सम्पत्ति की जमानत पर न तो ऋण दे सकता है और न ही अपने काम के अतिरिक्त अन्य किसी उद्देश्य से अचल सम्पत्ति खरीद सकता है।
रिजर्व बैंक की सफलताएँ (ACHIEVEMENTS OF THE RESERVE BANK):
भारतीय रिजर्व बैंक की प्रमुख सफलताएँ निम्नांकित है-
(1) जब से रिजर्व बैंक ने न्यूनतम कोषानुपात प्रणाली को अपनाया है, तब से देश की मुद्रा प्रणाली में लोन उत्पन्न हो गयी है।
(2) रिजर्व बैंक ने अपने जीवन काल में सुलभ मुद्रा नीति का अनुसरण किया है।
(3) देश में मुद्र प्रसार को नियंत्रित करने में रिजर्व बैंक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
(4) सरकार के बैंकर एवं एजेण्ट के रूप में रिजर्व बैंक ने सरकार के लिए सार्वजनिक ऋणों की व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
(5) रिजर्व बैंक ने व्यापारिक आवश्यकताओं के अनुसार साख का नियमन करके ब्याज की दरों में होने वाले उच्चावचनों में काफी स्थिरता स्थापित कर दी है।
(6) रुपये के बाह्य मूल्य को स्थिर रखने में भी रिजर्व बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

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