नमस्कार दोस्तों पिछले आर्टिकल में आपने समझा कि अलंकार किसे कहते हैं और अलंकार कितने प्रकार के होते हैं, इसी टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए आज हम आपको Rupak Alankar Ki Paribhasha के बारे में जानकारी देंगे।
तो बिना किसी देरी कि आज का यह आर्टिकल रूपक अलंकार किसे कहते हैं शुरू करते हैं:
रूपक अलंकार किसे कहते हैं:
Rupak Alankar: जब भी उपमेय और उपमान में किसी भी प्रकार का अंतर नहीं होता है तो वहां रूपक अलंकार होता है इसका तात्पर्य यह है कि जब उपमेय और उपमान के मध्य भेद को समाप्त कर दिया जाता है और दोनों को समान बताया जाता है तब वहां रूपक अलंकार मौजूद होता है।
गुणों की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय को उपमान के समान उपयोग किया जा सकता है, यानी कि उसमें किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं होता तो इसे हम रूपक अलंकार कहते हैं।
आपको बता दें कि रूपक अलंकार हिंदी व्याकरण के अलंकारों का एक प्रमुख भेद है।
रूपक अलंकार का हिंदी भाषा या हिंदी व्याकरण में बहुत ही ज्यादा उपयोग किया जाता है क्योंकि इसके माध्यम से हम किसी भी भाव को बड़ी ही सरलता से समझा सकते हैं।
रूपक अलंकार की परिभाषा (Rupak Alankar Ki Paribhasha):
जब कोई वस्तु (उपमेय) और उपमान बिल्कुल एक समान लगती है और उसमें किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं होता है तो उसे हम रूपक अलंकार के रूप में में जानते हैं।
अन्य शब्दों में कहा जाए तो:
जहां दो वस्तुओं के मध्य अंतर समाप्त हो जाता है तो वहां रूपक अलंकार होता है यानी कि जब भी हम दो वस्तुओं को एक समान मान लेते हैं तो उन्हें हम रूपक अलंकार कहते हैं।

रूपक अलंकार का उदाहरण:
“उसकी आंखों में समुद्र है”
यहां उसकी आंखें उपमेय है और समुद्र उपमान है परंतु उसकी आंखों और समुद्र के मध्य किसी भी प्रकार का अंतर नहीं है और इसे हम एक समान मान लेते हैं इसलिए इस उदाहरण में रूपक अलंकार का उपयोग हुआ है।
वह एक ही स्थान पर खड़ी थी परंतु उसकी नजरें दूर तक जा रही थी
(उपमेय: वह, उपमान: उसकी नजरें)
बादल गगन को घेर लेते हैं जैसे ही आते हैं तूफान ला देते हैं
(उपमेय: बादल, उपमान: तूफान)
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रूपक अलंकार के भेद (Rupak Alankar Ke Bhed):
रूपक अलंकार के कुछ भेद इस प्रकार से हैं:
- सांग रूपक अलंकार
- निरंग रूपक अलंकार
- परंपरिक रूपक अलंकार
सांग रूपक अलंकार:
जब एक वस्तु के अंगों के बारे में कुछ बता कर दूसरी वस्तु के अंगो के बारे में बताया जाता है तो उसे हम सांग रूपक अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:
अंबर से घनघोर बादल आए
आंखों से निकले आंसू बूंद बूंद कर धरा पर गिरता है
निरंग रूपक अलंकार:
जब भी किसी एक वस्तु से दूसरे वस्तु की तुलना की जाती है और उस समय उनके अंगों का नहीं बल्कि गुणों का आरोप होता है तो उसे हम निरंग रूपक अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:
वह एक महान वक्ता है।
इस उदाहरण में जिस व्यक्ति के बारे में बात हो रही है यह निश्चित नहीं है कि उसका रंग क्या है परंतु उसकी व्यक्तित्व की छमता दर्शाने के लिए उसे महान बताया जा रहा है इसलिए यह उदाहरण निरंग रूपक अलंकार है।
परंपरिक रूपक अलंकार:
जब भी एक अलंकार में एक वस्तु के बारे में आरोप किया जाता है और दूसरे वस्तु से जो आरोप होता है और उसका कारण भी वही वस्तु होता है तो उसे हम परंपरिक रूपक अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:
अब तो बस यही बाकी है खुशी के संगीत सुनते जाओ
इस उदाहरण में उसी का संगीत सुनते जाओ आरोप है और शेष बाकी इसके कारण है और पहले वाक्य में अन्य भागों के बारे में नहीं बताया गया है इसलिए हम कह सकते हैं कि यह उदाहरण परंपरिक रूपक अलंकार है।
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Conclusion:
इस प्रकार से आपने समझा कि रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है (Rupak Alankar Ki Paribhasha) और रूपक अलंकार का उदाहरण क्या है हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा और इसी तरह की अन्य जानकारियों के लिए हमारे वेबसाइट को जरूर विजिट करें।

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शानदार लेख के लिए धन्यवाद
मुझे यह जानकर ख़ुशी हुयी