आज के इस आर्टिकल में Sahkari Samiti से जुडी सभी प्रकार कि जानकारी के बारे में समझेंगे:
Highlights:
- Sahkari Samiti सहकारी समिति कि परिभाषा
- सहकारी समिति की विशेषताएँ
- सहकारी समिति के अधिकारी
- सहकारी समितियों के उद्देश्य
- सहकारी समिति के गुण लाभ अथवा महत्व
सहकारी संगठन से तात्पर्य एक ऐसे संगठन से है, जो कि व्यक्तियों कि मदद से सहकारिता एवं समानता के जरिये आर्थिक हितों कि सुरक्षा करती हो, जैसे कि उपभोक्ता सहकारी समितियों कि स्थापना का मुख्य उद्देश्य है थोक व्यापारी से सीधे अधिक मात्रा में वस्तुएं खरीदना और उसे अपने सदस्यों को कम दर पर उपलब्ध कराना है।
Sahkari Samiti सहकारी समिति कि परिभाषा:
Definition of Co-Operative Society:
एम. टी. हैरिक (M.T. Hamck) के अनुसार “सहकारिता उन व्यक्तियों की एक ऐसी क्रिया है जो सामूहिक लाभ के लिए पारस्परिक प्रबन्ध के द्वारा अपनी ही शक्तियों, साधनों या दोनों का सम्मिलित ढंग से उपयोग करते हैं।”
प्रो. सेलिगमैन (Seligman) के अनुसार “सहकारिता का परिभाषित अर्थ है वितरण और उत्पादन में प्रतियोगिता का परित्याग कर समस्त प्रकार के मध्यस्थों को दूर करना।
सहकारी समिति की विशेषताएँ
- ऐच्छिक संगठन
- समान मताधिकार
- पारस्परिक सहयोग
- सेवा की भावना
- स्वतन्त्र सदस्यता
- लोकतान्त्रिक व्यवस्था
Features of Co-operative Organization:
ऐच्छिक सहकारी संगठन:
यह एक ऐसी संस्था है जिसमे इंसान अपनी इच्छा के अनुसार इस संस्था का सदस्य बन सकता है और इसके कभी भी इस संस्था का त्याग भी कर सकता है साथ ही साथ इसका सदस्य बनने के लिए कभी भी किसी के उपर दबाव नहीं डाला जाता है,
इस समिति का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति कि उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, और इसे ऐच्छिक संघ के नाम से भी जाना जाता है.
समान मताधिकार:
यह सहकारी संगठन समान मतों के सिद्धांतों पर कार्य करता है, जिसमे एक व्यक्ति के जरिये vote के आधार पर सभी पदाधिकारियों का चुनाव किया जाता है। दुसरे शब्दों में कहाँ जाये तो इसमें सभी सदस्यों को एक मत देने का हक़ होता है
पारस्परिक सहयोग:
इस प्रकार के संगठन कि मुख्य विशेषता पारस्परिक सहयोग कि भावना होती है और इसके साथ ही व्यक्तिगत स्वार्थ का इसमें किसी भी प्रकार का कोई स्थान नहीं होता है
सेवा की भावना:
इस समिति में सेवा कि भावना के जरिये लाभ अर्जित करना होता है और इसके साथ ही इसमें सदस्यों का प्रबल रूप से सहायता प्रदान करना होता है
स्वतन्त्र सदस्यता:
यह सहकारी संगठन कि विशेषताओं में से है जिसमे कोई भी व्यक्ति इसका सदस्य बन सकता है अर्थात् किसी भी जाति, धर्म, वर्ण, भाषा, प्रान्त एवं वेशभूषा वाले स्त्री-पुरुष सहकारी समिति के सदस्य बन सकते है। इस समिति का सदस्य का बनने के लिए कोई प्रतिबन्ध नहीं होता है
लोकतान्त्रिक व्यवस्था:
अधिकाशं संगठन का प्रारूप हमारे लोकतान्त्रिक प्रणाली पर आधारित है और सभी कार्य बहुमत के आधार पर ही किये जाते है
Objectives of Cooperative Societies:
Sahkari Samiti के उद्देश्य:
- सहकारी समितियों का निर्माण सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए किया गया है.
- सदस्यों को सुख सुविधा पहुचाने के साथ साथ वित्तीय आवश्यकताओं को भी पूरा करना.
- किसी अच्छी प्रकार कि वस्तुओं का निर्माण करना जो सदस्यों के लिए उपयोगी हो
- उत्पादन कि प्रक्रिया को भी बढ़ावा देना भी इन समितियों का लक्ष्य होता है।
- इन सभी समितियों का निर्माण उत्पादकों के उत्पादन विक्रय एवं संग्रह के लिए किया जाता है।
- इसका मुख्या उद्देश्य सहयोग और विश्वास कि भावना से वृद्धि प्राप्त करना है
- इसके साथ ही इसक मुख्य उद्देश्य सदस्यों में संग्रहण करना भी होता है
- इन सभी समितियों की जिम्मेदारी होती है की यह सदस्यों को सस्ते व उचित कीमत पर माल उपलब्ध कराये।
सहकारी समिति के अधिकारी (OFFICE BEARERS OF CO-OPERATIVE SOCIETIES)
- प्रधान (President)
- उप-प्रधान (Vice President)
- सचिव (Secretary)
- खजांची (Treasurer)
Property benefits or importance of cooperative society:
सहकारी समिति के गुण लाभ अथवा महत्व:
- एकाधिकार का अन्त
- मध्यस्थों का उन्मूलन
- माँग एवं पूर्ति का सन्तुलन
- मितव्ययिता
- उचित कीमत
एकाधिकार का अन्त:
इस प्रकार के सहकारी समिति व्यवस्था में व्यापारियों द्वारा कि जाने वाली एकाधिकार यानी कि Monopoly की स्थितियाँ खत्म हो जाती है जिसके वजह से उपभोक्ता का शोषण नहीं हो पाता है और इसके साथ ही उचित कीमत पर लोगो को वस्तुएं मिलती रहती है.
मध्यस्थों का उन्मूलन:
इन सभी समितियों को स्थापित करने के वजह से मध्यस्थों जैसे चीजे खत्म हो जाती है और ऐसा देखा गया है की साझेदारी तथा कम्पनी व्यवसायों मध्यस्थों की आवश्यकता होती है,
और व्यवसायों में जितना अधिक मध्यस्थ होगा वस्तुओं की कीमतों में उतनी ही वृद्धि होगी परन्तु सहकारी समितियों में ऐसा नहीं होता है जिससे वस्तुयें भी उचित दाम पर मिलते है
माँग एवं पूर्ति का सन्तुलन:
सहकारी समिति मांग के मध्य संतुलन बनाने का कार्य करती है और ये अपने सदस्यों को माँग के हिसाब से वस्तुओं का उत्पादन को कम या ज्यादा करती है तथा उसे अपने सदस्य ग्राहकों में विक्रय करती है,
जिसकी वजह से वस्तुओं में होने वाली कृत्रिम आभाव की कमी हो और वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता बनी रहती है.
मितव्ययिता समिति का संचालन तथा प्रबन्ध:
इससे समिति के व्ययों में कमी आती है। साथ ही समविक्रय नकद होने के कारण डूबते ऋण को हानि भी नहीं होती है।
उचित कीमत:
सहकारी समितियों की स्थापना करने के वजह से उपभोक्ताओं को आवश्यक वस्तुएँ उचित मूल्य पर प्राप्त होने लगती है।

Hey Guys! This is Aditya Agrawal Who loves to Watch Movies, TV Shows, and TV Series and also likes to give updates related to TV Series. Hope You Will Enjoy it.