आज हम इस आर्टिकल कि मदद से Trade यानी कि व्यापार के बारे में पुरे समझेंगे:
Highlights:
- Trade Kise Kahate Hain (व्यापार किसे कहते हैं)
- Vyapar ke Prakar (व्यापार के प्रकार)
Trade Kise Kahate Hain (व्यापार क्या होता है):
Trade जिसे हम हिंदी भाषा में व्यापार के रूप में जानते है इसका मुख्य अर्थ होता है विभिन्न प्रकार कि वस्तुओं का क्रय-विक्रय कर लाभ प्राप्त करना है.
आसान शब्दों में कहाँ जाये तो व्यापार और विक्रेता दोनों के मध्य परस्पर लाभ हेतु वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय यानी कि आदान प्रदान करने से है और जो व्यक्ति इन क्रियाओं को करता है उन्हें हम व्यापारी यानी कि Trader कहते है
इसके साथ ही जो उनको क्रियाओं को व्यापार (Trade) कहते हैं। आपको बता दे इ व्यापार को छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर तक किया जा सकता है यहाँ तक कि इसे हम स्थानीय स्तर से लेकर राज्यीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक होता है।
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Vyapar ke Prakar (व्यापार के प्रकार):
- देशी व्यापार (Home Trade)
(i) स्थानीय व्यापार (Local Trade)
(ii) राज्यीय या प्रान्तीय व्यापार (State Trade)
(iii) अंतर्राज्यीय व्यापार (Inter-state Trade)
2. क्रय-विक्रय के आधार पर (On the basis of sale purchase)
(i) थोक व्यापार (Wholesale Trade)
(ii) फुटकर व्यापार (Retail Trade)
3. विदेशी व्यापार
(i) आयात व्यापार
(ii) निर्यात व्यापार
(iii)पुनः निर्यात व्यापार

देशी व्यापार (Home Trade):
देशी व्यापार ऐसे व्यापार को कहाँ जाता है जिसमे वस्तुओं का क्रय-विक्रय किसी देश की सीमाओं के अन्दर ही होता है और देशी व्यापार को भी दो आधार पर वर्गीकृत किया गया है:
क्षेत्र के आधार पर (On the basis of Resion)- क्षेत्र के आधार पर देशी व्यापार निम्न तीन प्रकार का होता है:
(i) स्थानीय व्यापार (Local Trade):
जैसे कि नाम से हमें पता चल रहा है कि स्थानीय व्यापार किसी गाँव या जिले तक ही सीमित रहता है, इस व्यापार में अधिकतर दैनिक जीवन में उपयोग कि जाने वस्तुएं ही आती है जैसे- ताजे फल, मिठाईयाँ, दूध सब्जियों आदि।
(ii) राज्यीय या प्रान्तीय व्यापार (State Trade):
जब कोई व्यापारी राज्य स्तर पर व्यापार करने लगता है, तो उसे हम राज्यीय या प्रान्तीय व्यापार के रूप में जानते है उदाहरण के लिए: अनाज, दालें, बर्तन आदि।
(iii) अंतर्राज्यीय व्यापार (Inter-state Trade):
जब कोई व्यापार एक ही देश के विभिन्न राज्यों में होता है, तो उसे हम अंतर्राज्यीय व्यापार के रूप में जानते है जैसे कि हिमाचल प्रदेश का कोई व्यापारी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा या अन्य किसी प्रदेश के व्यापारों के साथ क्रय-विक्रय करता है.
इस वर्ग में उन सभी वस्तुओं को शामिल किया जाता है, जो किसी विशेष राज्य में ही उत्पन्न होती हैं जैसे चीनी, कपड़ा, मशीनरी आदि।
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क्रय-विक्रय के आधार पर (On the basis of sale purchase):
इस आधार पर देशी व्यापार निम्न दो प्रकार का होता है:
(i) थोक व्यापार (Wholesale Trade):
इस व्यापार में थोक व्यापारी वस्तुओं को उत्पादकों से बड़ी मात्रा में खरीद कर उसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फुटकर व्यापारियों के पास बेच देते है.
(ii) फुटकर व्यापार (Retail Trade):
इस व्यापार में फुटकर व्यापारी थोक व्यापार से वस्तुएं खरीदता है और उनकी जरूरत के अनुसार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बेच देता है
विदेशी व्यापार:
जैसा कि नाम से हमें पता चल रहा है कि किसी भी वस्तुओं या सेवाओं का क्रय एवं विक्रय करना विदेशी व्यापार कहलाता है।
इसके भी तीन अंग है:
(i) आयात व्यापार:
आयात व्यापार में एक देश का व्यापारी किसी दुसरे देश कि वस्तुओं या सेवाओं का क्रय करता है तो उसे हम आयात व्यापार के रूप में जानते है जैसे— भारत ईरान से पेट्रोलियम पदार्थ क्रय करता है। इसे भारत के लिए आयात व्यापार कहा जायेगा।
(ii) निर्यात व्यापार:
यह आयत व्यापार का ठीक विपरीत है इसमें एक देश का व्यापारी दुसरे देश कि वस्तुओं या सेवाओं का विक्रय करता है, जिसे हम निर्यात व्यापार के रूप में जानते है
उदाहरण के लिए, भारत सूती वस्त्र, चाम, जूट आदि का विदेशों को विक्रय करता है। इसे भारत के लिए निर्यात व्यापार कहा जायेगा।
(iii)पुनः निर्यात व्यापार:
इस प्रकार के व्यापार में किसी एक देश के द्वारा किसी वस्तुओं या सेवाओं का आयात किसी अन्य देश से करके किसी तीसरे देश को निर्यात किया जाता है तो इसे हम पुनः निर्यात व्यापार के रूप में जानते है.
यह दो देशों के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है उदाहरण के लिए, इंग्लैण्ड दक्षिणी अफ्रीका से माल आयात करके अन्य यूरोपीय देशों को निर्यात करता है।

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