करों के प्रकार (Types of Taxes in Hindi)

इस आर्टिकल के माध्यम से आप करों के प्रकार यानी कि (Types of Taxes in Hindi) के बारे में समझेंगे जैसे कि:

Highlights:

  1. करों के प्रकार (Types of Taxes in Hindi)
  2. प्रत्यक्ष कर क्या है (DIRECT TAXES IN HINDI)
  3. प्रत्यक्ष कर के गुण (Merits of Direct Tax in Hindi)
  4. प्रत्यक्ष कर के दोष
  5. अप्रत्यक्ष कर क्या है (INDIRECT TAXES IN HINDI)
  6. अप्रत्यक्ष कर के गुण

करों के प्रकार (Types of Taxes in Hindi):

वर्तमान में विश्व के लगभग सभी देशों में बहुकर प्रणाली प्रचलित है। करों के स्वभाव, उद्देश्य, कार्य भुगतान विधि के आधार पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने करों का वर्गीकरण अलग-अलग ढंग से किया है।

करों का वर्गीकरण (Karon Ke Prakar) निम्न श्रेणियों के अंतर्गत किया जाता है-

  1. सामान्यत: प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर,
  2. आनुपातिक, प्रगतिशील प्रयोगकर
  3. विशिष्ट एवं मूल्यानुसार कर,
  4. एकल कर एवं बहुकर प्रणाली।

प्रत्यक्ष कर (DIRECT TAXES IN HINDI):

सामान्यतया, प्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं जिनका भुगतान एक ही बार में कर दिया जाता है तथा वे ही व्यक्ति उनका भुगतान करते हैं जिन पर वह लगाया जाता है अर्थात् उनके भार को दूसरों पर टाला नहीं जा सकता।

दूसरे शब्दों में, जब किसी कर का आघात एवं कर का भार अंतिम रूप से किसी एक ही व्यक्ति पर पड़ता है तो उसे प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes) कहा जाता है।

ऐसे कर के भार को दूसरे व्यक्तियों पर टाला नहीं जा सकता। प्रत्यक्ष कर के संबंध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों के विचार इस प्रकार हैं-

प्रत्यक्ष कर कि परिभाषा (DEFINITION OF DIRECT TAXES IN HINDI):

-डॉ. डाल्टन के अनुसार,

“प्रत्यक्ष कर वह कर है, जिसका भुगतान वास्तव में उसी व्यक्ति के द्वारा किया जाता है जिस पर यह कानूनी तौर से लगाया जाता है।”

प्रो. जे. एस. मिल के शब्दों में,

“प्रत्यक्ष कर वह कर है, जो उसी व्यक्ति से माँगा जाता है जिससे उसे भुगतान करने की आशा की जाती है।

आर्मिटेज स्मिथ के अनुसार,

“प्रत्यक्ष कर से तात्पर्य यह है कि यह कर हस्तांतरित एवं विवर्तित नहीं किया जा सकता, वरन् उसी व्यक्ति पर लगाया जाता है, जिससे भार सहन करने की आशा की जाती है। आय कर प्रत्यक्ष कर का श्रेष्ठ उदाहरण है।

बैस्टेबल के अनुसार,

“प्रत्यक्ष कर वे हैं जो स्थाई और बार-बार उपस्थित होने वाले अवसरों पर लगाये जाते हैं

फिण्डले शिराज के अनुसार,

“प्रत्यक्ष कर वे हैं, जो शीघ्र ही व्यक्तियों की आय एवं सम्पत्ति पर लगाये जाते हैं, और जिनका भुगतान सरकार को प्रत्यक्ष रूप में किया जाता है। इस प्रकार आय एवं पति कर, मृत्यु कर, पोल कर आदि प्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं ।

डिमाकों के शब्दों में,

“प्रत्यक्ष कर वह कर है, जिसे वसूल करने के लिए करदाताओं की सूची तैयार की जाती है तथा इसी सूची के आधार पर एक निश्चित समय पर उनसे कर वसूल लिया जाता है.

प्रत्यक्ष कर के गुण (Merits of Direct Tax in Hindi):

  1. समानता एवं न्यायोचित,
  2. निश्चितता,
  3. उत्पादकता,
  4. मितव्ययता,
  5. लोचकता,
  6. नागरिकता,

प्रत्यक्ष कर के गुण (MERITES OF DIRECT TAXES )

प्रत्यक्ष कर में निम्न गुण होते हैं-

(1) समानता एवं न्यायोचित:

प्रत्यक्ष कर, करदान क्षमता के सिद्धान्त पर आधारित होते हैं और इनमें अलग-अलग लोगों एवं संस्थाओं पर करों के भार का वितरण न्यायपूर्ण तरीके से किया जाता है,

अर्थात् जो अधिक कमाता है, वह अधिक कर देता है और जो कम कमाता है वह कम कर देता है। इसीलिए इसमें समानता होती है।

(2) निश्चितता:

प्रत्यक्ष कर में निश्चितता का गुण होता है, क्योंकि करदाता को इस बात की निश्चितता रहती है कि उसे कर के रूप में कितनी राशि चुकानी है.

राज्य को भी निश्चितता रहती है कि प्रत्यक्ष कर से उसे कितनी आय प्राप्त होगी, ताकि उसके अनुसार व्यय का समायोजन किया जा सके।

(3) उत्पादकता:

प्रत्यक्ष कर में उत्पादकता का गुण पाया जाता है। क्योंकि जैसे-जैसे सम्पत्ति बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे कर से होने वाली आय भी बढ़ती जाती है।

(4) मितव्ययिता:

प्रत्यक्ष कर को संग्रह करने में मितव्ययता रहती है। इन करों का संग्रह, व्यय की अपेक्षा करों से प्राप्त होने वाली आय अधिक होती है। इसीलिए इन करों में न्यायशीलता, निश्चितता, मितव्ययिता उत्पादकता एवं प्रगतिशीलता के गुण पाये जाते हैं, जिससे नागरिकता जागृत होती है।

(5) लोचकता:

प्रत्यक्ष कर में लोचकता का भी गुण पाया जाता है। इनकी दर संकटकाल में बढ़ायी जा सकती है, और सामान्य स्थिति में करों को नीचा किया जा सकता है। साथ ही अधिक छूट देकर आवश्यकतानुसार सरकार आय कम कर सकती है।

(6) नागरिक चैतन्यता:

प्रत्यक्ष कर नागरिकों में जागरूकता की भावना पैदा करते हैं। करदाता जा है कि वह सरकार को कर दे रहे है, उसकी अभिरुचि इस बात में रहती है कि सरकार इस आय को किस प्रकार व्यय कर रही हैं। इस प्रकार व्यक्ति नागरिक के रूप में अपने कर्तव्य और अधिकारों के प्रति सजग रहता है.

प्रत्यक्ष कर के दोष (DEMERITES OF DIRECT TAXES IN HINDI):

  1. असुविधाजनक,
  2. कर अपवंचन,
  3. करों की मनमानी दर,
  4. सीमित क्षेत्र,
  5. बचत एवं विनियोग पर प्रतिकूल प्रभाव,
  6. अलोकप्रिय,
  7. संकटकाल में सहायक नहीं।

(1) असुविधाजनक:

प्रत्यक्ष कर का प्रथम दोष यह है कि ये असुविधाजनक होते हैं, क्योंकि करदाताओं मात्रा में कर कर भुगतान करना पड़ता है जिससे उन्हें बड़ा मानसिक कष्ट होता है।

(2) कर अपवंचन:

प्रत्यक्ष करों का सबसे बड़ा दोष यह है कि इनमें करों के अपवंचन अथवा चोरी की अधिक गुंजाइश रहती है। प्रायः लोग झूठा हिसाब प्रस्तुत कर या तो अपने आपको इन करों से पूर्णरूप से बचा लेते हैं अथवा करों की चोरी कर लेते हैं अर्थात् कम मात्रा में करों का भुगतान करते हैं।

(3) करों की मनमानी दर:

सरकार द्वारा प्रत्यक्ष करों की जो दर निर्धारित की जाती है, उनके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। एक निश्चित मात्रा में सम्पत्ति और निश्चित आय के नीचे सब व्यक्तियों को कर से छूट दे दी जाती है तथा यह सीमा भी प्रत्येक वार्षिक बजट में परिवर्तित कर दी जाती है। इसके पीछे कोई ठोस आधार नहीं होता।

(4) सीमित क्षेत्र:

प्रत्यक्ष कर चूँकि सम्पत्ति और आय पर लगाए जाते हैं, इसलिए इनका क्षेत्र सीमित हो जाता है, तथा निर्धन और कम आय वाला वर्ग इनकी पहुँच के बाहर होता है।

अप्रत्यक्ष कर (INDIRECT TAXES IN HINDI):

सामान्यतया, अप्रत्यक्ष कर वे कर हैं जिनका भुगतान दूसरे व्यक्तियों पर टाला जा सकता है, अर्थात् अप्रत्यक्ष कर का कराघात किसी एक व्यक्ति पर पड़ता है जो कर के मौद्रिक भार को अन्य व्यक्तियों के कन्धे पर टाल देता है।

वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाये गये कर अप्रत्यक्ष कर होते हैं, जैसे-विक्रय कर, आयात एवं कर इत्यादि इन करों को करदाता वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्यों में वृद्धि करके इनके भार को उपभोक्ताओं पर डाल देता है।

इस प्रकार, यही प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर में महत्वपूर्ण अन्तर है। अप्रत्यक्ष कर को विभिन्न विद्वानों ने निम्नानुसार परिभाषित किया है-

डॉ. डाल्टन के अनुसार,

“अप्रत्यक्ष कर एक व्यक्ति पर लगाया जाता है तथा पूर्णतया अथवा अंशदाता अन्य एक व्यक्ति द्वारा भुगतान किया जाता है, जो कि अनुबंधित एवं सौदा करने की शर्तों के परिणामस्वरूप ऐसा होता है

प्रो. जे. एस. मिल के शब्दों में,

“ अप्रत्यक्ष कर वह कर है जो व्यक्ति से इस आशा के साथ माँगा जाता है कि वह दूसरों पर बोझ डालकर अपनी क्षतिपूर्ति कर लेगा।

बैस्टेबल के अनुसार

“ अप्रत्यक्ष कर विशेष घटनाओं पर लगाये जाते हैं, जैसे जो कभी-कभी उपस्थित होते हैं।

आर्मिटेज स्मिथ के शब्दों में,

“अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं एवं सेवाओं पर ऐसे कर होते हैं जिन्हें अन्य व्यक्तियों पर वितरित किया जा सकता है।”

फिण्डले शिराज के अनुसार,

“अप्रत्यक्ष कर वे कर होते हैं जो उपभोक्ताओं द्वारा वस्तुओं के उपभोग और उनसे आनन्द के माध्यम से उनकी आय को प्रभावित करते हैं, जैसे: व्यापार पर कर, मनोरंजन कर इत्यादि।

अप्रत्यक्ष कर के गुण:

  1. सुविधाजनक,
  2. करवंचन कठिन,
  3. लोचदार,
  4. न्यायपूर्ण,
  5. विस्तृत आधार,
  6. हानिकारक वस्तुओं पर रोक,
  7. मितव्ययी,
  8. लोकप्रिय,
  9. सामाजिक लाभ ।

अप्रत्यक्ष कर के गुण:

(MERITES OF INDIRECT TAXES) अप्रत्यक्ष कर के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-

(1) सुविधाजनक:

अप्रत्यक्ष कर सुविधाजनक होते हैं, क्योंकि वे ऐसे समय लगाये जाते हैं व्यक्ति वस्तु को क्रय करता है अथवा सेवा का उपभोग करता है। इससे करदाता कर के भार को महसूस नहीं करता। इसके साथ ही इन करों का भुगतान छोटी-छोटी किस्तों में तथा समयान्तरों पर करना पड़ता है।।

(2) करवंचन कठिन:

अप्रत्यक्ष कर का एक गुण यह है कि इस प्रकार के कर की चोरी करना सरल नहीं होता है, क्योंकि ये कर वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्यों में सम्मिलित रहते हैं, फलतः जब कोई व्यक्ति वस्तु या सेवा क्रय करता है तो उसे ये कर आवश्यक रूप से देने पड़ते हैं।

(3) लोचदार:

ये कर लोचदार होते हैं। इन करों की दरों में थोड़ी सी वृद्धि करने से ही करों से प्राप्त राशि की मात्रा अधिक बढ़ जाती है। इसी प्रकार दर कम करके इस आय को घटाया जा सकता है।

(4) न्यायपूर्ण:

अप्रत्यक्ष कर का एक गुण यह है कि ये न्यायपूर्ण होते हैं, क्योंकि इन करों को बस्तु और सेवाओं पर लगाया जाता है जिनको सभी लोगों द्वारा अपनी-अपनी क्षमताओं के अनुसार क्रय किया है और कर का भुगतान करते हैं। इस प्रकार कर आनुपातिक होते हैं।

(5) विस्तृत आधार:

अप्रत्यक्ष कर से देश की कर प्रणाली के आधार को विस्तृत किया जा सकता तथा कर प्रणाली को भी सरलतापूर्वक बढ़ाया जा सकता है।

अप्रत्यक्ष कर के दोष (DEMERITES OF INDIRECT TAXES IN HINDI):
  1. कर की चोरी,
  2. असमानता,
  3. न्यायोचित नहीं,
  4. अत्यधिक अनिश्चित,
  5. बेलोचदार,
  6. प्रतिगामी,
  7. मध्यस्थ,
  8. प्रभावपूर्ण माँग का कम होना,
  9. नागरिक चेतना की कमी,
  10. अमितव्ययी ।

(DEMERITES OF INDIRECT TAXES IN HINDI) अप्रत्यक्ष कर के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-

(1) कर की चोरी –

अप्रत्यक्ष कर का दोष यह है कि इन करों की चोरी की संभावना अधिक रहती है। चोरबाजारी तथा नकली खाते बनाकर इन करों की चोरी की संभावना अधिक रहती है। फलतः समाज में भ्रष्टाचार तथा बेईमानी को बढ़ावा मिलता है और अधिकारी वर्ग भी अपना नैतिक उत्थान नहीं कर पाते।

(2) असमानता:

अप्रत्यक्ष कर बिना किसी प्रकार का भेद किये, यहाँ तक कि लोगों की कर चुकाने की योग्यता को ध्यान में रखे बिना ही सभी लोगों पर लगाये जाते हैं, अतः यह अन्यायपूर्ण एवं असमानतापूर्ण माने जाते हैं।

(3) न्यायोचित नहीं अप्रत्यक्ष कर प्रायः

वस्तुओं एवं सेवाओं पर लगाये जाते हैं, अतः इनका भार गरीबों पर अधिक पड़ता है, जो न्यायसंगत नहीं है।

(4) अत्यधिक अनिश्चित:

अप्रत्यक्ष कर का एक दोष यह है कि ये कर अत्यधिक अनिश्चित होते हैं। इन करों से प्राप्त होने वाली आय अनिश्चित होती है और उसका ठीक-ठीक अनुमान लगाना भी कठिन होता है।

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