नमस्कार दोस्तों आपका हमारी वेबसाइट में स्वागत है आज हम आपको Upniveshvad Kya Hai और उपनिवेशवाद से जुड़ी विभिन्न प्रकार की जानकारी देंगे जैसे कि: उपनिवेशवाद के प्रकार क्या है,
चलिए उपनिवेशवाद क्या होता है इसके बारे में आपको जानकारी देते हैं:
Upniveshvad Kya Hai (उपनिवेशवाद क्या होता है):
Upniveshvad एक ऐसी प्रथा है जिसमें कोई एक देश या कोई एक समूह के लोग दूसरे देश या क्षेत्र को अपने अधीन करते हैं और उनका मुख्य उद्देश्य उस देश के संसाधनों और लोगों का शोषण करना होता है।
उपनिवेशवादी देशों के जरिए स्थानीय लोगों पर नियंत्रण रखने के लिए सैन्य बलों का भी उपयोग किया जाता है इसके साथ ही वहां के लोगों पर आक्रमण कर अपनी संस्कृति, भाषा और मूल्यों को अपनाने पर जोर दिया जाता है।
उपनिवेशवाद की शुरुआत सोलवीं शताब्दी के बीच का समय माना जाता है जब यूरोपीय शक्तियां अफ्रीका, एशिया और अमेरिका अपनी समृद्धि बढ़ाने के लिए उपनिवेशों की स्थापना करके अपना क्षेत्र विस्तार करने लग गए थे।
Upniveshvad के प्रभाव से अक्सर आम लोगों की जिंदगी विनाशकारी हो जाती है क्योंकि उन्हें अपनी जमीन, संसाधन और संस्कृतियों से नुकसान का सामना करना पड़ता है इसके साथ ही उन्हें विदेशी शासन और शोषण का भी सामना करना पड़ जाता है।
- उपनिवेशवाद के कारण यह देखा गया है कि विदेशी शासन के दौरान कॉलोनी के संसाधन जैसे कि धातु, तेल और खाद्य पदार्थों को बेशुमार नुकसान पहुंचता है।
- इसके कारण लोगों को अक्सर उनकी संस्कृति, और भाषा से वंचित कर दिया जाता है।
- उपनिवेशवाद से प्रभावित देशों के लोगों का स्वास्थ्य भी अक्सर बहुत ही खराब रहता है क्योंकि उन्हें खाद्य पदार्थ और अन्य आवश्यकता की चीजें अपेक्षाकृत नहीं मिल पाती।
- उपनिवेशवाद के दौरान देशों में असंतुलन, उपेक्षा और जातिवाद जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।
Upniveshvad Ki Paribhasha:
आर्गेंन्सी के अनुसार ” उन सभी क्षेत्रों को हम उपनिवेश कहेंगे जो एक विदेशी सत्ता द्वारा शासित है तथा जिसके निवासियों को पूरे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नही है।”
Upniveshvad Ke Prakar:
Upniveshvad के कुछ प्रकार इस तरीके से हैं:
- आबादकार उपनिवेशवाद (Settler Colonialism)
- शोषण उपनिवेशवाद (Exploitation Colonialism)
- Surrogate Colonialism
- आंतरिक उपनिवेशवाद (Internal Colonialism)

आबादकार उपनिवेशवाद (Settler Colonialism):
यह उपनिवेशवाद का ही एक प्रकार है जिसमें आप्रवासन शामिल होता है इसके साथ ही राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक इसके मुख्य कारक होते हैं।
इस उपनिवेशवाद का नतीजा यह होता है कि किसी भी स्थानीय और मौजूदा आबादी को बड़े पैमाने पर बदल दिया जाता है और विचार अधीन कॉलोनी का मुख्य रूप से कृषि के उद्देश्यों के लिए शोषण किया जाएगा इसका मुख्य उदाहरण ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा हैं।
शोषण उपनिवेशवाद (Exploitation Colonialism):
इस उपनिवेशवाद का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और स्थानीय लोगों के श्रम का शोषण करना होता है जोकि आर्थिक रूप से उन्हें लाभ पहुंचाता है इसका मुख्य उदाहरण भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में मौजूद स्थानीय श्रमिकों का उपयोग है जहां चाय और रबर जैसी नकदी फसलों की खेती के लिए स्वदेशी आबादी को दास के रूप में उपयोग किया गया था।
Surrogate Colonialism:
इस प्रकार के उपनिवेशवाद में औपचारिक रूप से एक औपनिवेशिक शक्ति के द्वारा एक समझौता परियोजना को शामिल किया जाता है दक्षिण अफ्रीका और रोड़ेशिया (जिंबाब्वे और जांबिया) इस उपनिवेशवाद के उदाहरण थे।
आंतरिक उपनिवेशवाद (Internal Colonialism):
यह राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के बीच असमान और भेदभाव पूर्ण शक्ति संरचना को प्रदर्शित करती है।
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Upniveshvad Ke PDF in Hindi:
उपनिवेशवाद का PDF Download करने के लिए नीचे डाउनलोड बटन पर क्लिक करें:
भारत में उपनिवेशवाद के प्रभाव:
भारत में Upniveshvad का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव देखने को मिला है आइए जानते हैं उपनिवेशवाद का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा है:

आर्थिक शोषण:
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के व्यापार पर एकाधिकार स्थापित किया जिससे कि उन्हें लाभ के लिए भारत के संसाधनों पर दोहन करने की अनुमति मिल गई थी जिसकी वजह से भारत के नागरिकों के साथ-साथ पारंपरिक उद्योगों का भी विनाश होना शुरु हो गया था।
राजनीतिक दमन:
अंग्रेजों ने भारत में केंद्रीय सरकार की स्थापना की जिसकी वजह से भारतीय नागरिकों के बजाए ब्रिटिश प्रशासकों के हित में काम करने की शुरुआत हो गई थी इससे भारतीय आवाजों और स्वशासन के लिए आंदोलन का दमन हुआ।
सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन:
अंग्रेजों ने नई शिक्षा प्रणाली और सामाजिक मानदंडों के साथ भारतीय समाज की बुनियाद रखी जिसका भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा, इसकी वजह से अंग्रेजी को प्राथमिक भाषा के रूप में शामिल किया गया जिसने कई भारतीयों को उच्च शिक्षा और नए अवसरों को प्राप्त करने की अनुमति दी।
फूट डालो और राज करो की नीति:
अंग्रेजों ने भारत में “Divide and Rule यानी कि फूट डालो और राज करो की नीति” अपना रखी थी जिसकी वजह से विभिन्न धार्मिक और जाति के लोग आपस में एक दूसरे के खिलाफ लड़ाई करने लग जाते थे इससे संप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था जो आज भी भारत में मौजूद है।
कृषि क्षेत्र में स्थिरता:
उपनिवेशवाद के कारण कृषि को के पास कृषि करने के लिए नहीं साधन बजे थे ना ही निवेश के लिए धन और सरकार के पास भी कृषि तकनीक एवं कृषि से संबंधित शिक्षा का कोई भी विकल्प नहीं बचा था जिसके वजह से धीरे-धीरे कृषि का पतन होने लगा और उत्पादकता भी बहुत धीमी हो गई।
आधुनिक उद्योगों का विकास:
19वीं शताब्दी के बाद भारत में बहुत ही बड़े पैमाने पर आधुनिक उद्योगों का विकास होना शुरू हो गया था जिसके फलस्वरूप देश में मशीनी युग का आरंभ हुआ, भारत में पहली सूती वस्त्र मिल 1853 में कावसजी नानाभाई के द्वारा बंबई में स्थापित किया गया था।
और भारत की पहली जूट मिल 1855 में रिशरा के बंगाल में स्थापित किया गया था परंतु इन सभी अधिकांश आधुनिक उद्योगों का स्वामित्व विदेशियों के हाथ में था।
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उपनिवेशवाद के कारण:
Upniveshvad के उदय या स्थापना के विभिन्न कारण थे जिनमें कुछ कारण हम आपको बताने जा रहे हैं:

व्यापारिक लाभ:
इंग्लैंड में शांति स्थापना हो जाने के बाद उद्योग और व्यापार में काफी उन्नति होने लगी परंतु उनके पास अपना सामान बेचने के लिए पर्याप्त मात्रा में बाजार मौजूद नहीं थी, जिसकी वजह से अंग्रेजों को उपनिवेशओं की आवश्यकता महसूस होने लगी इसकी वजह से स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस जैसे देशों कच्चा माल प्राप्त करते थे और निर्मित किए हुए सामान को इन्हीं उपनिवेश देशों में बेच देते थे।
आर्थिक लाभ:
कुछ यूरोपीय देश बहुमूल्य धातु, मसाला और विभिन्न प्रकार के संसाधनों तक पहुंचने के लिए उपनिवेशवाद को अपनाने में लगे हुए थे जोकि उनके घरेलू देशों में उपलब्ध नहीं थे इसके लिए उन्होंने स्वयं के निर्मित सामानों को बाजार में स्थापित करने की मांग की।
भौगोलिक खोजें:
उपनिवेशवाद का मुख्य कारण भौगोलिक खोजों को बताई जाती है, 15 वी शताब्दी के बाद कई नाविकों के द्वारा नए देशों को खोजने के लिए नए समुद्री रास्ते खोजे गए और जब यह नाविक अपने देश वापस गए तो उन्हें पता चला कि नए देशों में आर्थिक विकास और व्यापारिक दृष्टिकोण से अनंत संभावनाएं विद्यमान है, जिसकी वजह से ये नये देशों को अपना उपनिवेश बनाने लग गए।
धार्मिक और सांस्कृतिक प्रेरणाएं:
कई यूरोपीय देश अपने धर्म और संस्कृति को दुनिया भर में फैलाना चाहते थे जिसके लिए उन्हें उपनिवेशवाद को अपनाने में लगे हुए थे।
राजनीतिक शक्ति:
विश्व स्तर पर उपनिवेशों के अधिग्रहण को देश की प्रतिष्ठा और शक्ति बढ़ाने का एक तरीके के रूप में देखा जाने लगा और कई यूरोपीय देश उपनिवेशवाद अपने वैश्विक प्रभुत्व के प्रतीक के रूप में देखा।
Conclusion:
इस प्रकार से आपने समझा कि Upniveshvad Kise Kahate Hain, भारत पर उपनिवेशवाद के प्रभाव क्या है, उपनिवेशवाद के कारण क्या है जैसे और भी अन्य तथ्यों के बारे में आपने विस्तार पूर्वक जानकारी ली।
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा लिखे गए यह आर्टिकल आपको समझ आएगा और अगर आपको किसी भी प्रकार से इस टॉपिक से संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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